रायपुर। Code of Conduct : चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गया है। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से राज्य सभी विभाग प्रमुखों के साथ संभाग आयुक्त और कलेक्टरों को निर्देश जारी कर दिया गया है।
- सामान्य वर्ष 2024-25 में त्रिस्तरीय पंचायतों और नगरीय निकायों के आम निर्वाचन सम्पन्न होने जा रहे हैं। इस कार्य के लिए शासकीय तंत्र को तैयार करना है। शासन चाहता है कि इस निर्वाचन में कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी सही प्रकार से निभाएं। निर्वाचन कार्य के लिए राज्य सरकार के कार्यालयों के बहुत से कर्मचारियों को नियोजित करना होगा। कार्य इतने व्यापक स्वरूप का है कि प्रत्येक विभाग के भरपूर सहयोग के बगैर चाहे वह कर्मचारी के रूप हो वाहन एवं अन्य संसाधनों के रूप में हो, यह कार्य सुचारू ढंग से संपन्न नहीं हो सकता।
- शासकीय कर्मचारियों से अपेक्षित आचरण :
2.1 शासकीय कर्मचारियों को निर्वाचन में बिल्कुल निष्पक्ष रहना चाहिए। यह आवश्यक है कि जनता को उनकी निष्पक्षता का विश्वास हो। उन्हें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे ऐसी शंका भी हो कि वे किसी दल या उम्मीदवार की मदद कर रहे हैं। शासकीय कर्मचारियों को किसी भी प्रकार से निर्वाचन अभियान या प्रचार में भाग नहीं लेना चाहिए। उन्हें यह देखना चाहिए कि सरकार में उनकी हैसियत या उन्हें प्रदत्त अधिकारों का लाभ कोई दल या उम्मीदवार न ले सके। किसी अन्यर्थी के निर्वाचन के लिए प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से कार्य करना छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम, 1966/ अखिल भारतीय सेवाए (आचरण) नियम, 1968 के प्रावधानों के विपरीत है। निर्वाचनों से सम्बद्ध अधिकारी/कर्मचारी न तो किसी अभ्यर्थी के लिए कार्य करेंगे और न ही मत देने हेतु किसी प्रकार का प्रभाव डालेंगे। इसके अतिरिक्त कोई शासकीय सेवक निर्वाचन अभिकर्ता मतदान अभिकर्ता या गणन अभिकर्ता के रूप में कार्य नहीं कर सकता है।
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2.2 निर्वाचनों के संचालन के लिए नियोजित समस्त अधिकारी/कर्मचारी तथा राज्य सरकार द्वारा पदाभिहित अधिकारी निर्वाचन के परिणाम घोषित होने तक छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति पर समझे जाएंगे और उस समय तक निर्वाचन आयोग के नियंत्रण, अधीक्षण और अनुशासन के अधीन रहेंगे।
2.3 निर्वाचन की घोषणा के दिनांक से निर्वाचन पूर्ण होने तक की अवधि में मंत्रियों के यात्रा/दौरों के सिलसिले में निम्न निर्देश लागू होंगे :-
2.3.1 जब कभी मंत्री जिले में शासकीय भ्रमण पर आये और सर्किट हाऊस या विश्राम गृह में ठहरे तब हमेशा की तरह उनके आगमन / प्रस्थान के समय प्रोटोकॉल के अनुसार संबंधित अधिकारी को उपस्थित रहना चाहिए। यदि मंत्री किसी निजी निवास पर ठहरते है तो आगमन और प्रस्थान के समय किसी अधिकारी को जाने की जरूरत नहीं है। यदि किसी सरकारी काम से कोई मंत्री किसी अधिकारी को सर्किट हाऊस या रेस्ट हाऊस में बुलाये तो जाना चाहिए, परंतु किसी के निजी मकान पर जहां मंत्री ठहरे हों, नहीं जाना चाहिए।
2.3.2 यदि मंत्री शासकीय भ्रमण पर हो और जिला मुख्यालय में सर्किट हाऊस/रेस्ट हाऊस में ठहरे, तो हमेशा के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाये। यदि मंत्री किसी के निजी मकान में ठहरे, तो सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंध न किया जाये। (यदि गांवों के दौरे के समय किसी रेस्ट हाऊस में ठहरे, तो भी सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंध करने की जरूरत नहीं है।) जहां तक मंत्री की खुद की सुरक्षा का प्रश्न है, उनके साथ सुरक्षा गार्ड रहता ही है। यदि पुलिस अधीक्षक यह महसूस करते है कि किसी विशेष कारण से और सुरक्षा की व्यवस्था करना आवश्यक है, तो वह बगैर वर्दी के एक या दो सिपाही लगा सकते हैं। यह पुलिस अधीक्षक के विवेक पर निर्भर करेगा कि वे सिपाही हथियार सहित ड्यूटी करेंगे या बगैर हथियार के। यह निर्देश ऐसे सभी महानुभावों पर भी लागू होगा, जिन्हें मंत्री का दर्जा प्रदान किया गया है।
2.3.3 यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि निर्वाचन की घोषणा के दिनांक से लेकर निर्वाचन की प्रक्रिया पूर्ण होने तक की अवधि में केन्द्र या राज्य शासन के कोई भी मंत्री ऐसे निर्वाचन क्षेत्र में शासकीय दौरा नहीं करेंगे जिनमें निर्वाचन की घोषणा हो चुकी है।
2.3.4 यदि मंत्री, संस्था या पार्टी की ओर से आम सभा आयोजित करते है, तो सभा की व्यवस्था नहीं की जाए। केवल कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना सुनिश्चित् किया जायेगा।
2.3.5 यदि कोई मंत्री निर्वाचन के कार्य से भ्रमण करते हैं, तो शासकीय कर्मचारी तथा अधिकारी उनके साथ नहीं जायेंगे।
2.3.6 उन अधिकारियों को छोड़कर, जिन्हें ऐसी सभा के आयोजन में कानून एवं व्यवस्था के लिए, सुरक्षा के लिए, या कार्यवाही नोट करने के लिए तैनात किया गया हो, दूसरे अधिकारियों को ऐसी सभा या आयोजन में शामिल नहीं होना चाहिए।
2.3.7 जब किसी मंत्री को निजी मकान पर खाने-पीने के लिए आमंत्रित किया जाना है, तो कोई शासकीय अधिकारी या कर्मचारी उसमें शामिल नहीं होंगे।
2.3.8 निर्वाचन संबंधी सभा शासकीय शिक्षण संस्थाओं के खेल के मैदानों में या शासकीय कार्यालयों या सरकारी मुलाजिमों के मकानों से लगी खुली जमीन पर करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, लेकिन इनके अलावा यदि कोई खुली शासकीय भूमि हो, तो उस पर सभा करने की अनुमति देने में कोई आपत्ति नहीं है।
2.3.9 सार्वजनिक स्थान पर चुनावी मीटिंग की अनुमति देते समय विभिन्न राजनैतिक दलों में कोई भेद नहीं करना चाहिए। यदि एक ही दिन में कई दल एक ही जगह पर सभा करना चाहते हैं, तो उस दल को अनुमति दी जाये, जिसने सबसे पहले आवेदन दिया हो। यहां पर यह स्पष्ट किया जाता है कि दो दलों की आमसभा, एक ही समय पर, लगे हुए स्थानों पर होने देना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे कानून एवं व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने की संभावना रहती है। ऐसी परिस्थिति में दोनों पक्षों को यह समझा दिया जाये कि यदि वे अलग-अलग समय अथवा अलग-अलग स्थानों पर सभाएं आयोजित करें तो अच्छा होगा।
2.3.10 निर्वाचन के दौरान किसी भी अधिकारी/कर्मचारी को अवकाश स्वीकृत करने में पर्याप्त सावधानी रखी जाय ताकि निर्वाचन कार्य प्रभावित न हो।
2.3.11 कोई भी शासकीय कर्मचारी किसी राजनीतिक आन्दोलन में न तो भाग लेगा न उनकी सहायता के लिए चंदा देगा और न ही किसी प्रकार का सहयोग देगा।
- निर्वाचन में लाउडस्पीकर का उपयोग निर्वाचन अभियान में लाउड स्पीकर का उपयोग सभी राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और उनके कार्यकर्ता द्वारा किया जाता है। निर्वाचन अभियान के लिए लाउड स्पीकरों की तेज आवाज से सामान्य व्यक्ति की शान्ति भंग हो जाती है, जिसके कारण वयोवृद्ध और बीमार व्यक्तियों को काफी असुविधा होती है। अतः आम जनता की परेशानी को देखते हुए आयोग द्वारा कुछ तर्कसंगत प्रतिबंध लगाये गये हैं। तद्नुसार कार्यवाही करना सुनिश्चित की जाए। इस संबंध में छत्तीसगढ़ कोलाहल नियंत्रण अधिनियम का पालन सुनिश्चित् हो।
- सम्पत्ति विरूपण को रोकने संबंधी निर्देश निर्वाचन के समय इस आशय की शिकायतें प्राप्त होती है कि निर्वाचन के प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और प्रत्याशी निर्वाचन संबंधी पोस्टर चिपकाकर, नारा लिखकर, निर्वाचन प्रतीकों के चित्र बनाकर सरकारी तथा गैर सरकारी भवनों को विकृत करते है। यह सभी भवन मालिकों की अनुमति के बिना करके उन्हें परेशान किया जाता है और इससे न केवल भवन, बल्कि पूरा ग्राम/शहर विरूपित हो जाता है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ सम्पत्ति विरूपण अधिनियम का पालन सुनिश्चित् हो।
- वाहनों की व्यवस्था :
5.1 निर्वाचनों को संपन्न कराने के लिए वाहनों की काफी संख्या में आवश्यकता पड़ेगी। ये वाहन निर्वाचन के लिए आवश्यक सामान और निर्वाचन कर्मचारियों को एक जगह से दूसरी जगह लाने, ले जाने के कामों में लगाए जायेंगे। आप कृपया अपने विभाग के वाहनों की सूची जिला कलेक्टरों को तुरंत भेज दें तथा कलेक्टर द्वारा वाहन की मांग करने पर तत्काल उपलब्ध कराये। वाहन अच्छी और चालू हालात में रखना आवश्यक है, ताकि निर्वाचन के काम में कोई बाधा न पड़े। इसलिए आप ऐसी व्यवस्था भी करें, कि वाहन की मरम्मत समय पर हो जाये, ताकि कलेक्टर को वाहन समय पर चालू हालात में उपलब्ध हो सके।
5.2 यदि किसी विशेष परिस्थिति में किसी विभाग के वाहन को कार्य की आवश्यकता को दृष्टि में रखते हुए छूट दिया जाना आवश्यक समझा जाता है. तो विभाग को कलेक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह कलेक्टर के विवेक पर रहेगा कि वे उन्हें छूट दें अथवा नहीं।
5.3 निर्वाचन की घोषणा होने के उपरांत समस्त विभागाध्यक्षों को विभागीय वाहनों की मरम्मत का कार्य प्राथमिकता के आधार पर करवाना चाहिए, इस कार्य हेतु अपने अधीनस्थ कार्यालयों को आवश्यक धन राशि का आबंटन एवं स्वीकृति भी शीघ्र दी जानी चाहिए। आवश्यकता होने पर कलपूर्जी, टायर ट्यूब्स, बैटरी आदि के क्रय के लिए धनराशि उपलब्ध करायी जाये। इसके लिए तत्काल सक्षम अधिकारियों की स्वीकृति प्राप्त की जाना चाहिए।
5.4 निर्वाचन के लिए पर्याप्त संख्या में जीप, मिनी बस, बस एवं ट्रकों की आवश्यकता होती है। अतः निर्वाचन की घोषणा के उपरांत परिवहन आयुक्त को अपने रीजनल ट्रांसपोर्ट आफिसरों को यह निर्देश देने चाहिए कि वे अपने क्षेत्र के कलेक्टरों को वाहन उपलब्ध कराने हेतु पूरा सहयोग देवें।
5.5 निर्वाचन की अवधि में उपयोग में लाई जाने वाली गाड़ियों पर होने वाले खर्च के बारे में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आदेश प्रसारित किये जाएंगे। इन गाड़ियों पर होने वाले खर्च का भुगतान उक्त आदेशों के अनुसार किया जाएगा।
- पेट्रोल/डीजल आदि की व्यवस्था :
निर्वाचन के दौरान ट्रक/जीप/बस एवं अन्य वाहनों का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। अतः यह आवश्यक है कि प्रत्येक जिले में पेट्रोल एवं डीजल की समुचित व्यवस्था की जाए। इस हेतु कलेक्टर को संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाकर स्टाक की स्थिति का आंकलन कर लेना चाहिए। ऐसे स्थान जहां पेट्रोल पम्प नहीं है. वहां पेट्रोल-डीजल रखने की व्यवस्था की जाए।
- विश्रामगृहों / विश्राम भवनों में कमरों का आरक्षण :
निर्वाचन की घोषणा के उपरांत निर्वाचन के परिणाम घोषित किये जाने तक अवधि के लिए विश्रामगृहों / विश्राम भवनों के कम से कम एक कक्ष निर्वाचन कार्य से संबंधित अधिकारियों के लिए आरक्षित रखा जाए, इस आरक्षित कक्ष के आबंटन में निम्न प्राथमिकता निर्धारित की जाती है –
- राज्य निर्वाचन आयुक्त,
- राज्य निर्वाचन आयोग के प्रेक्षक,
- छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारी,
- निर्वाचन कार्य से संबंधित अन्य अधिकारी।
यह व्यवस्था उस अधिकारी द्वारा सुनिश्चित की जाए, जो संबंधित विश्राम गृह/विश्राम भवन के प्रभार में हो।
- निर्वाचन हेतु कर्मचारियों की व्यवस्था :
8.1 निर्वाचन कार्य हेतु जिलों के कलेक्टर, सभी विभागों के कर्मचारियों की सेवाएं ले सकेंगे, परन्तु चिकित्सालयों में कार्यरत् चिकित्सक, पशु चिकित्सालय में कार्यरत्चिकित्सक एवं कम्पाउंडर, पुलिस, जनसंपर्क तथा जेल के अधिकारी/कर्मचारियों की सेवाएं नहीं ली जाएगी।
8.2 कलेक्टर संबंधित जिला अधिकारियों को सूचित करेंगे कि निर्वाचन के काम के लिए उनके अधीनस्थ पदस्थ किस कर्मचारी को कब और किस जगह काम करना है, जब कभी कलेक्टर कर्मचारियों की सेवाए निर्वाचन कार्य के लिए मांगे, तो वे तुरंत उपलब्ध करा दी जाएं और कर्मचारियों को यह निर्देश दिया जाये कि बिना किसी विलम्ब के कलेक्टर के आदेशों का पालन किया जाए।
8.3 निर्वाचन की अवधि में उन कर्मचारियों को, जिनका चयन कलेक्टर ने निर्वाचन कार्य के लिए किया हो या जिनके विषय में कलेक्टर ने ऐसी अपेक्षा की हो, बिना कलेक्टर की
सहमति के किसी प्रकार अवकाश स्वीकृत न किया जाए। अवकाश का प्रकरण कलेक्टर की सहमति हेतु सिर्फ उस स्थिति में भेजा जाए, जब संबंधित अधिकारी/कर्मचारी का अवकाश पर जाना अत्यन्त आवश्यक हो। अन्यथा उनका अवकाश आवेदन अस्वीकार कर दिया जाए।
8.4 जिन अधिकारियों / कर्मचारियों की ड्यूटी निर्वाचन कार्य में लगाई गई है, या जिनके विषय में कलेक्टर ने ऐसी अपेक्षा की हो, उन अधिकारियों तथा कर्मचारियों को अन्य कार्य के लिए जिले के बाहर आयोजित बैठकों एवं निर्वाचन प्रशिक्षण के अतिरिक्त अन्य किसी प्रशिक्षण में नहीं भेजा जाए।
8.5 अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं निर्वाचन कार्य या निर्वाचन प्रशिक्षण हेतु ली जानी है उनकी उपस्थिति संबंधित जिला अधिकारी सुनिश्चित करें।
8,6 निर्वाचन अवधि में शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों, के स्थानान्तरण पर लगाए गए प्रतिबंध का पूर्णतः पालन किया जाए।
8.7 निर्वाचन कार्य हेतु निम्नलिखित विभागों के कर्मचारियों की सेवाएं भी ली जा सकती है :-
1.प्रत्येक स्थानीय संस्था,
2 राज्य अधिनियम द्वारा स्थापित या संस्थापित या उसके अधीन प्रत्येक विश्वविद्यालय,
- राज्य सरकार के किसी भी अधिनियम के तहत् स्थापित कोई अन्य संस्थान, संस्था या उपक्रम, जो राज्य शासन द्वारा स्थापित या उसके अधीन हो या जो राज्य शासन द्वारा नियंत्रित या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रदत्त निधियों द्वारा संपूर्ण रूप से या पर्याप्त रूप से आर्थिक सहायता प्राप्त हो।
ऐसी महिलाएं जो प्रसव की अग्रिम स्थिति में हो, चाहे वे प्रसूति छुट्टी पर गई हैं या नहीं अथवा जो अन्यथा डॉक्टरी सलाह पर किसी कठोर या भारी काम के उपयुक्त नहीं हैं और नवजात शिशु को स्तनपान करा रही हो उन्हें मुक्त रखा जावे। शारीरिक अपंगता से जो कर्मचारी भारी काम नहीं कर सकते, उन्हें निर्वाचन कार्य से मुक्त रखा जाये।
- शिकायतों का निराकरण :
9.1 किसी भी स्तर पर मौखिक या लिखित रूप से प्रस्तुत निर्वाचन संबंधी शिकायतें जल्दी से जल्दी निराकृत की जाए। अभ्यर्थी द्वारा की गई शिकायत की जांच यथाशीघ्र पूरी की जाकर उस पर आवश्यक कार्यवाही की जाए। अधिकारी जिसे शिकायत प्रस्तुत की गई है, यदि स्वयं सुधारात्मक कार्यवाही हेतु सक्षम है, तो तत्काल ऐसी कार्यवाही करेंगे, अन्यथा सक्षम स्तर पर इसे प्रस्तुत करेंगे।
9.2 राज्य निर्वाचन आयोग से जो शिकायतें प्राप्त होती है उनके संबंध में त्वरित जांच कराकर वांछित प्रतिवेदन शीघ्र ही प्राप्त की जाए ताकि रिपोर्ट समय पर भेजी जा सके।
- आयोग द्वारा नियुक्त प्रेक्षकों को सूविधाएं :
10.1 निर्वाचन के समय राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त प्रेक्षकों को आयोग के निर्देशानुसार निर्दिष्ट क्षेत्रों में आने-जाने के लिए विभागीय वाहन का उपयोग करने की अनुमति दी जाए।
10.2 ऐसे प्रेक्षक जो रायपुर या अपने मुख्यालय से ही अपना वाहन लेकर जांएगे, उनके वाहन के लिए पी.ओ.एल. स्टेट गैरेज से या विभाग से उपलब्ध कराया जाए तथा यात्रा भत्ता एवं रास्ते के लिए पी.ओ.एल. क्रय करने के लिए अग्रिम के रूप में राशि संबंधित विभाग द्वारा ही स्वीकृत की जाए। इसी प्रकार की व्यवस्था प्रेक्षक के साथ जाने वाले अन्य कर्मचारियों के लिए भी की जाए। इस प्रकार की प्रेक्षकों एवं स्टाफ की यात्रा पर हुए पी.ओ.एल. के व्यय एवं अग्रिम के रूप में दी गई राशि की प्रतिपूर्ति राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की जायेगी।
10.3 निर्वाचन के दौरान राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्वाचन आयोग का प्रेक्षक नियुक्त किया जाता है। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन के लिए उन्हें शासन तंत्र अभ्यर्थियों एवं राजनैतिक दलों के मध्य आयोग के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करना होता है। अतएव सभी स्तरों पर उन्हें आवागमन, ठहरने, टेलीफोन, दूरसंचार आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए।
- अन्य निर्वाचन पर प्रतिबंध:
निर्वाचन के समय कृषि उपज मंडी समिति, या ऐसे ही अन्य निर्वाचन होते हैं तो निर्वाचन के कार्य की गति में व्यवधान पड़ने की संभावना रहती है। अतः निर्वाचन की घोषणा होने के उपरांत तथा सम्पन्न होने तक कोई भी ऐसे निर्वाचन न कराए जाए। (यदि किसी विभाग द्वारा कोई कार्यक्रम बनाया जाता है, तो उन्हें भी तद्विषयक अनुरोध कर लिया जाए)
- स्थानीय निकायों, शासकीय उपक्रमों, सहकारी संस्थाओं आदि के वाहनों के उपयोग पर प्रतिबंध:
12.1 निर्वाचन की घोषणा के दिनांक से निर्वाचन के परिणाम घोषित होने के दिनांक तक केन्द्र और राज्य शासन के उपक्रम, संयुक्त क्षेत्र के उपक्रमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं, जिला पंचायतों, जनपद पंचायतों, ग्राम पंचायतों, नगरपालिक निगमों, नगरपालिकाओं, नगर पंचायतों, विपणन बोर्ड, विपणन संस्थाओं, कृषि उपज मंडी समिति, प्राधिकरणों या अन्य ऐसे निकाय जिनमें सरकारी धन का कितना भी छोटा अंश निवेश किया गया हो, के वाहनों के उपयोग की किसी भी प्रकार की अनुमति विधानसभा सदस्यों, संसद सदस्यों, राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों अथवा अभ्यर्थियों या निर्वाचन से संबंधित किसी व्यक्ति को न दी जाए। ऐसी संस्थाओं के वाहनों का उपयोग उपर्युक्त प्रकार के व्यक्तियों द्वारा गुप्त
रूप से या खुले रूप से करना सरकारी तंत्र का गंभीर दुरूपयोग माना जाएगा। यह प्रतिबंध उन वाहनों पर भी रहेगा, जो अन्य राज्यों की ऐसी संस्थाओं की है और इस राज्य में आयी है। निर्वाचन प्रचार या निर्वाचन संबंधी दौरों के लिए उपरोक्त वर्ग के व्यक्तियों को उपरोक्त प्रकार के वाहन किराये पर देना भी प्रतिबंधित है।
12.2 किसी भी व्यक्ति द्वारा जिसमें केन्द्र या किसी राज्य के मंत्री भी शामिल हैं, भुगतान के बावजूद, ऐसे प्राधिकारियों के ऐसे वाहनों का निर्वाचन प्रचार हेतु अथवा निर्वाचन से संबंधित दौरों के लिए प्रयोग पूर्णतः प्रतिबंधित है। केवल ऐसे राजनैतिक व्यक्तित्व इसके अपवाद होंगे, जिन्हें आतंकवादी और उग्रवादी गतिविधियों के कारण उनके जीवन के प्रति खतरे का देखते हुए, ऊंचे दर्जे की सुरक्षा की आवश्यकता है, और जिनकी सुरक्षा की अपेक्षाएं संसद या राज्य विधान मण्डल द्वारा इस हेतु बनाये गये किसी सांविधिक उपबंध द्वारा शासित होती हैं।
12.3 किसी अभ्यर्थी या उसके एजेन्ट की सहमति से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा मतदाताओं को मुफ्त में मतदान केन्द्र तक लाने ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध कराना भ्रष्ट आचरण है। निर्वाचन के लिए मतदान के दिन, प्रत्येक अभ्यर्थी निम्नलिखित का उपयोग कर सकते हैं:
(क) पूरे निर्वाचन क्षेत्र में अपने प्रयोग के लिए एक वाहन
(ख) इसके अतिरिक्त प्रत्येक निर्वाचन एजेंट या कार्यकर्ता या पार्टी कार्यकर्ताओं जैसे भी मामला हो के प्रयोग के लिए एक वाहन।
उपर्युक्त वाहनों के लिए परमिट जिला मजिस्ट्रेट / रिटर्निग आफिसर द्वारा जारी किया जाएगा। अभ्यर्थियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे संबंधित प्राधिकारियों द्वारा जारी किए गए परमिटों को विण्डस्क्रीन पर चस्पा करें।
- निर्वाचन की अवधि में मंत्रियों द्वारा आश्वासन तथा अनुदान की घोषणा न करना- मंत्रियों और अन्य प्राधिकारियों को उस समय से जब से राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किये जाते हैं, विवेकाधीन निधि में से अनुदानों/अदायगियों की स्वीकृति नहीं देनी चाहिए। मंत्री और अन्य प्राधिकारी, उस समय से जब से राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किये जाते हैं :-
(क) किसी भी रूप से कोई भी वित्तीय अनुदान या इस संबंध में कोई आश्वासन नहीं देंगे, अथवा :
(ख) (लोक सेवकों को छोड़कर) किसी प्रकार की परियोजनाओं अथवा स्कीमों के लिए आधार शिलाएं आदि नहीं रखेंगे, या
(ग) सड़कों के निर्माण, पीने के पानी की सुविधाएं इत्यादि का आश्वासन नहीं देंगे, अथवा
(घ) शासन, सार्वजनिक उपक्रमों आदि में कोई भी तदर्थ नियुक्ति नहीं करेंगे, जिससे सत्ताधारी दल के हित में मतदाता प्रभावित हो।
(ङ) विशेष वर्ग के मतदाताओं को प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं, रोजगार, टेक्स व व्यापार, व्यवसायिक लायसेंस इत्यादि में छूट दिये जाने संबंधी घोषणा नहीं करेंगे।
राजनैतिक दलों से व्यवहार के संबंध में निष्पक्षता :
(1) मंत्रियों को अपने शासकीय दौरों को निर्वाचन से संबंधित प्रचार कार्य के साथ नहीं जोड़ना चाहिए और निर्वाचन के दौरान प्रचार करते हुए शासकीय मशीनरी अथवा कार्मिकों को उपयोग नहीं करना चाहिए। सरकारी विमानों, सरकारी वाहनों, मशीनरी और कार्मिकों का सत्ताधारी दल के हित को बढ़ावा देने के लिए उपयोग नहीं किया जायेगा. और
(2) सत्ताधारी दल को चाहिए कि वह सार्वजनिक स्थान जैसे मैदान इत्यादि पर निर्वाचन सभाएं आयोजित करने और अन्य इस्तेमाल करने के लिए अपना एकाधिकार न जमाएं। ऐसे स्थानों का उपयोग दूसरे दलों और अभ्यर्थियों को भी उन्ही शर्तों पर करने दिया जाय जिन शर्तों पर सत्ताधारी दल को उपयोग करने की अनुमति दी गई हो।
(3) सत्ताधारी दल या उसके अभ्यर्थियों का विश्राम गृहों; डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर एकाधिकार नही होगा और ऐसे आवासों का प्रयोग निष्पक्ष तरीके से करने के लिए अन्य दलों और अभ्यर्थियों को भी अनुमति दी जाएगी किन्तु कोई भी दल या अभ्यर्थी ऐसे आवासों का (इनके साथ संलग्न परिसरों सहित) प्रचार कार्यालय के रूप में या निर्वाचन प्रचार के लिए कोई सार्वजनिक सभा करने की दृष्टि से उपयोग नहीं करेगा या उसे उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
(4) निर्वाचन अवधि के दौरान राजनैतिक समाचारों तथा प्रचार की पक्षपातपूर्ण विज्ञप्ति के लिए त्रिस्तरीय पंचायतों और नगरीय निकायों के खर्चे से या अन्य माध्यमों से ऐसे विज्ञापनों का जारी किया जाना बिल्कुल बंद रहना चाहिए जिसमें सत्ताधारी पक्ष के हितों को अग्रसर करने की दृष्टि से उनकी उपलब्धियां दिखाई गई हो।
निर्वाचन के दौरान अपने समस्त कार्य निष्पादन में शासकीय तंत्र द्वारा उपरोक्त बिंदुओं को
ध्यान में रखा जाये तथा यह सुनिश्चित किया जावे कि आचरण संहिता के विपरीत कार्य में शासकीय तंत्र सहभागी न बने।
- कल्याणकारी उपायों आदि की घोषणा :
मतदाताओं को प्रभावित करने की गतिविधियों पर आदर्श आचरण संहिता के उल्लिखित सभी निषेध निर्वाचनों की घोषणा की तिथि से लागू होते हैं।
- निर्वाचन के पूर्व से प्रतिबन्धात्मक कार्यवाही कर स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने हेतु
निम्न कार्यवाहियां करना :-
- निर्वाचन की घोषणा के दिनांक से निर्वाचन समाप्ति तक नवीन शस्त्र लायसेंस जारी करने पर रोक।
- आपराधिक एवं गुण्डा तत्वों के विरूद्ध अभियान चलाना।
- अवैध अस्त्र/शस्त्रों को जप्त करना, सर्च करना एवं संलग्न तत्वों/व्यक्तियों को गिरफ्तार करना।
- जमानत पर छूटे तत्वों की निगरानी करना।
- हिस्ट्रीशीटर बदमाशों पर कार्यवाही।
- पूर्व निर्वाचन के समय मतदान केन्द्र पर लूट करने वाले तत्वों पर कार्यवाही / उनके अस्त्र आदि जप्त करना।
- लायसेंस शुदा उक्त क्रमांक 4. 5 एवं 6 में इंगित व्यक्तियों की पहचान कर आग्नेय अस्त्र जमा कराना।
- शस्त्रों को लाने ले जाने पर निर्वाचन अवधि में प्रतिबंधित करना।
- लारी, छोटे व्हीकल एवं अन्य सभी वाहनों की निर्वाचन के तीन दिन पूर्व से परिणाम घोषणा के दिनांक तक सघन जांच करना, जिससे अवांछित तत्व अस्त्रों / शस्त्रो का परिवहन निर्वाचन क्षेत्र में बाहर से न कर सके।
- स्थानांतरण पर रोक :
राज्य शासन के विभिन्न विभागों/निगमों/मण्डलों/प्राधिकरणों तथा ऐसी अन्य संस्थाओं, जो शासन द्वारा निर्मित है या जिनमें शासकीय धनराशि पूर्णतः या आशिक रूप से सन्निहित है या जो शासकीय अधिकारियों / कर्मचारियों द्वारा प्रतिनियुक्ति पर आंशिक या पूर्णतः संचालित हैं के सभी अधिकारियों/पदाधिकारियों के स्थानांतरण पर निर्वाचन की तिथि की घोषणा से लेकर निर्वाचन प्रक्रिया पूर्ण होने तक की अवधि में पूर्णतः पाबन्दी लगाई हैं। साथ ही विशेष परिस्थितियों में स्थानांतरण राज्य निर्वाचन आयोग की अनुमति के पश्चात् ही किये जा सकते हैं
- नियुक्तियां एवं पदोन्नतियां :
त्रिस्तरीय पंचायतों और नगरीय निकायों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति एवं पदोन्नति निर्वाचन काल में स्थगित रखी जावेगी। महत्वपूर्ण एवं आवश्यक मामले में पदोन्नति के आदेश राज्य निर्वाचन आयोग से पूर्व अनुमति लेकर ही जारी किये जा सकते है।
पैम्पलेटों, पोस्टरों इत्यादि के मुद्रण पर नियंत्रण :
कोई भी व्यक्ति किसी ऐसे निर्वाचन पम्पलेट या पोस्टरों को प्रकाशित एवं मुदित नहीं करेगा या प्रकाशित नहीं करायेगा, जिसके मुख पर उसके मुद्रक और प्रकाशक का नाम और पता न दिया हो।
- विकास योजना :
त्रिस्तरीय पंचायतों और नगरीय निकायों और राज्य शासन के विभिन्न विभागों एवं निगमों / मण्डल/प्राधिकरणों तथा ऐसी अन्य संस्थाएं जो शासन द्वारा निर्मित की गई है या जिनमें शासकीय धनराशि पूर्णतः या आंशिक रूप से सन्निहित है या जो शासकीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा प्रतिनियुक्ति पर आंशिक या पूर्णतः संचालित है के द्वारा किसी भी प्रकार की सुविधाएं वितरित नहीं की जायेंगी। साथ ही साथ कोई भी नए विकास कार्य प्रारम्भ नहीं किये जायेंगे यहां तक कि ऐसे विकास कार्य जो स्वीकृत हो गये है परंतु वर्तमान में प्रारम्भ नहीं हुए है उन्हें प्रारंभ नहीं किया जायेगा।
- कट-आउट, पट-विज्ञापन:
त्रिस्तरीय पंचायतों और नगरीय निकायों की पूर्व लिखित अनुमति के बिना कोई भी राजनीतिक दल, संघ, निकाय या व्यक्ति के द्वारा कट-आउट, पट-विज्ञापन आदि नही लगाया जायेगा। साथ ही कोई भी राज्य प्राधिकारी या स्थानीय प्राधिकारी उपरोक्त अनुमति देते समय साधारण जनता की संरक्षा एवं सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।
सरकारी प्राधिकारी और स्थानीय प्राधिकारी का यह उत्तरदायित्व होगा कि वे सुनिश्चित करें कि उनकी बिना पूर्व लिखित अनुमति के किसी राजनीतिक दल, संघ, निकायों या व्यक्ति द्वारा किसी हाईवे, सड़क, के दोनों तरफ, यातायात चौराहों और पारगामी, सरकारी बिल्डिंगों और सम्पत्ति जैसे बिजली. टेलीफोन के खम्भों आदि पर कोई कट-आउट, पट-विज्ञापन आदि न लगाये जाये।
सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे निर्वाचन प्रचार-प्रसार बाबत् होर्डिंग्स स्थानीय निकाय की बिना पूर्व अनुमति के नहीं लगाया जायेगा एवं स्थानीय निकाय द्वारा ऐसी अनुमति नियमानुसार शुल्क लेकर दिया जायेगा तथा ऐसी अनुमति निर्वाचन की तिथि की घोषणा के बाद नही दी जावेगी।
किसी कट-आउट पट-विज्ञापन आदि जिसे अपेक्षित अनुमति और प्राधिकारी के बिना अनुमति के लगाया गया है, उसे अप्राधिकृत रूप से लगाने के लिए उत्तरदायी दल, संघ, निकाय, या व्यक्ति के खर्चे पर तत्काल हटा/गिरा दिया जाये।
- शासकीय विज्ञापन :
राज्य शासन के विभिन्न विभागों एवं निगमों/मंडल/प्राधिकरणों तथा ऐसी अन्य संस्थाएं जो शासन द्वारा निर्मित है या जिनमें शासकीय धनराशि पूर्णतः या आंशिक रूप से सन्निहित है या जो शासकीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा प्रतिनियुक्ति पर आंशिक या पूर्णतः संचालित है, के द्वारा शासकीय धनराशि से ऐसे विज्ञापन जारी नहीं किये जायेंगे जिससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी राजनैतिक दल या किसी अभ्यर्थी के पक्ष में निर्वाचन प्रचार-प्रसार होता हो।