इंसाफ का तकाज़ा है। अन्याय कहीं भी हो न्याय को हर जगह खतरा है।

इंसाफ का तकाज़ा है। अन्याय कहीं भी हो न्याय को हर जगह खतरा है।

शेख अंसार की क़लम से…

किसी सरकारी मुस्लिम कर्मचारी को मियां, तियां और पाकिस्तानी कहना जरूर अनुचित है, लेकिन अपराध नही है – सुप्रीम कोर्ट

किसी भी कर्मचारी को बगैर मियां, तियां और पाकिस्तानी कहना सिर्फ अनुचित ही नहीं अपराध का बीज रोपण है – आम भारतीय

बोकारो झारखण्ड निवासी हरिनंदन सिंह ने चास अनुविभागी अधिकारी के कार्यालय में उर्दू अनुवादक के पद पर पदस्थ मोहम्मद शमीमुद्दीन का उपहास उड़ाते हुए शमीमुद्दीन को मियां, तियां और पाकिस्तानी कह दिया। शमीमुद्दीन ने इसे अपना घोर अपमान माना एवं व्यथित होकर अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में हरिनंदन सिंह के खिलाफ एक परिवाद पेश किया, प्रकरण की प्रकृति के अनुसार उसका विचारण सत्र न्यायालय के अधीन होनी थी, अतः एसीजेएम न्यायालय ने प्रकरण को सत्र न्यायालय के समक्ष अग्रेषित कर दिया। सत्र न्यायालय ने हरिनंदन सिंह को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 298 के तहत धार्मिक भावना आहत करने का दोषी माना।

सत्र न्यायालय बोकारो के आदेश के खिलाफ हरिनंदन सिंह ने रांची हाईकोर्ट में सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती दिया। हाईकोर्ट सत्र न्यायालय बोकारो के आदेश में अपनी सहमति की मुहर लगा दी। हरिनंदन सिंह हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाकर चुनौती दिया। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस सतीशचन्द्र शर्मा की डिवीजन बेंच ने विचारण एवं हाईकोर्ट कोर्ट के फैसले को सर के बल खड़ा करते हुए यह कहकर खारिज किया कि किसी सरकारी मुस्लिम कर्मचारी को मियां, तियां और पाकिस्तानी कहना अनुचित है, लेकिन इससे धार्मिक भावना कहा आहत होती है ? यह कोई अपराध नही है।

मियां शब्द की उत्पत्ति 16वी सदी के आसपास फारसी – उर्दू के संयोग से होती है, जिसका हिन्दी में अर्थ श्रीमान होता है। माननीय सुप्रीम कोर्ट को हरिनंदन सिंह से हलफनामे के साथ तियां शब्द का अर्थ पूछा लेना था। फिलवक्त दौर – ए – सियासत में मुस्लिमो के लिए पाकिस्तानी अल्फाज़ को तोहमत के साथ गाली जैसे उपयोग होने लगा है। किसी भारतीय मुसलमान को पाकिस्तानी कहने का अर्थ होता है भारतीय नहीं अर्थात विदेशी, लेहाजा शमीमुद्दीन साहब को हरिनंदन सिंह जी ने उपेक्षापूर्वक श्रीमान कहते हुए अत्यंत अनादरपूर्ण तरीके से विदेशी कह दिया। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने तियां का अर्थ बताएं बगैर फैसला लिख दिया है। यदि तियां का मतलब लिख दिया होता तो इस फैसले में नज़ीर बनती और इतिहास में बेनज़ीर कहलातीं। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से कोई भी भारतीय मर्माहत होकर असहमत ही होगा।

*आम भारतीयों की संरक्षक संस्था, सर्वोच्च न्यायालय यदि नैसर्गिक न्याय सिद्धांत के दर्शन शास्त्र रहित केवल यांत्रिकी चिंतनशैली से न्यायिक विवेक की अनुपस्थिति में न्याय के बदले भावविहीन फैसले से फलत: भारतीय समाज में लबालब भरे गंगा – जमुनी तहजीब की पवित्र धारा प्रदूषित होने लगती है।

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