अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्या है?
हो सकता है कि आपने मीडिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में सुना हो. या फिर अपने दोस्तों को इस बारे में बातचीत करते हुए सुना होगा.
मगर ये दिन क्यों मनाया जाता है? ये कब मनाया जाता है? ये कोई जश्न है? या फिर, विरोध का प्रतीक है? और क्या कोई अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस भी मनाया जाता है?
सालों से दुनियाभर के लोग आज के दिन महिला दिवस मनाते आ रहे हैं लेकिन ये सब शुरू कैसे हुआ?
1910 में क्लारा ज़ेटकिन नाम की एक महिला ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस या महिला दिवस, कामगारों के आंदोलन से निकला था, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र ने भी सालाना जश्न के तौर पर मान्यता दी.
इस दिन को ख़ास बनाने की शुरुआत आज से 115 बरस पहले यानी 1908 में तब हुई, जब क़रीब पंद्रह हज़ार महिलाओं ने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में एक परेड निकाली.
उनकी मांग थी कि महिलाओं के काम के घंटे कम हों. तनख़्वाह अच्छी मिले और महिलाओं को वोट डालने का हक़ भी मिले.
एक साल बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का एलान किया. इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का ख़याल सबसे पहले क्लारा ज़ेटकिन के ज़ेहन में ही आया था.
क्लारा एक वामपंथी कार्यकर्ता थीं. वो महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाती थीं.
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव, 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था.
उस सम्मेलन में 17 देशों से आई 100 महिलाएं शामिल थीं और वो एकमत से क्लारा के इस सुझाव पर सहमत हो गईं.
पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया. इसका शताब्दी समारोह 2011 में मनाया गया.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता 1975 में उस वक़्त मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने भी ये जश्न मनाना शुरू कर दिया.
संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए पहली थीम 1996 में चुनी थी, जिसका नाम ‘गुज़रे हुए वक़्त का जश्न और भविष्य की योजना बनाना’ था.
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, समाज में, सियासत में, और आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की तरक़्क़ी का जश्न मनाने का दिन बन चुका है.
जबकि इसके पीछे की सियासत की जो जड़ें हैं, उनका मतलब ये है कि हड़तालें और विरोध प्रदर्शन आयोजित करके औरतों और मर्दों के बीच उस असमानता के प्रति जागरूकता फैलाना है, जो आज भी बनी हुई है.