छत्तीसगढ़ की चर्चित भारतमाला परियोजना एक बार फिर भ्रष्टाचार के घेरे में आ गई है। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर रायपुर-विशाखापत्तनम आर्थिक कॉरिडोर के तहत भूमि अधिग्रहण में 43 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का आरोप लगाते हुए CBI जांच की मांग की है।



क्या है पूरा मामला?
डॉ. महंत ने विधानसभा सत्र के दौरान फरवरी-मार्च 2025 में पूछे गए तारांकित प्रश्न क्रमांक 226 का हवाला देते हुए कहा कि राजस्व मंत्री ने उत्तर में स्वयं स्वीकार किया कि जांच रिपोर्ट में फर्जी नामांतरण के ज़रिये मुआवजा स्वीकृत कर राजकोष को नुकसान पहुंचाया गया है।
वास्तविक मुआवजा राशि ₹7.65 करोड़ निर्धारित थी, लेकिन ₹49.39 करोड़ का भुगतान कर दिया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, भूमि अर्जन की अधिसूचना के बाद पूर्व दिनांक में की गई बिक्री-पंजीयन और नामांतरण की कार्यवाही से भूमि के कई हिस्से बांटे गए, जिससे अधिक दर से मुआवजा स्वीकृत हुआ।
यह सब कुछ कानून और प्रक्रिया के विरुद्ध था।
विवरण निम्न है..
1.छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र फरवरी-मार्च 2025 में मेरे द्वारा एक तारांकित प्रश्न क्रमांक 226 किया गया था। इस प्रश्न का लिखित उत्तर दिनांक 12 मार्च 2025 को माननीय राजस्व मंत्री जी के द्वारा दिया गया। इस तारांकित प्रश्न पर विधानसभा में चर्चा भी हुई। माननीय राजस्व मंत्री जी के लिखित उत्तर में यह स्वीकार किया गया है कि जांच रिपोर्ट के अनुसार फर्जी नामांतरण प्रकरण तैयार कर मुआवजा स्वीकृत किये जाने से शासन को आर्थिक क्षति होना प्रतिवेदित किया गया हैं। प्रश्न, उत्तर तथा चर्चा का विवरण संलग्न है।
विवरण निम्न है..
1.छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र फरवरी-मार्च 2025 में मेरे द्वारा एक तारांकित प्रश्न क्रमांक 226 किया गया था। इस प्रश्न का लिखित उत्तर दिनांक 12 मार्च 2025 को माननीय राजस्व मंत्री जी के द्वारा दिया गया। इस तारांकित प्रश्न पर विधानसभा में चर्चा भी हुई। माननीय राजस्व मंत्री जी के लिखित उत्तर में यह स्वीकार किया गया है कि जांच रिपोर्ट के अनुसार फर्जी नामांतरण प्रकरण तैयार कर मुआवजा स्वीकृत किये जाने से शासन को आर्थिक क्षति होना प्रतिवेदित किया गया हैं। प्रश्न, उत्तर तथा चर्चा का विवरण संलग्न है।