पूरे देश से नक्सलवाद के सफाए को लेकर जिस तरीके की चर्चा और निर्णय पिछले एक सप्ताह में हुई हैं वो 2026 तक नक्सलियों के खात्मे के लिए चलाए जा रहे अभियान में बहुत बड़ी रणनीति का हिस्सा बना है. 8 अप्रैल से लेकर अब तक देश में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे मुहिम को और मजबूत करने का बल मिला है. बात चाहे सुप्रीम कोर्ट की हो या फिर केंद्र सरकार के दावों की या फिर राज्य में चल रहे ग्राउंड जीरो पर नक्सलियों से निपटने के अभियान का.पूरा देश अब नक्सल मुक्त भारत की कल्पना को साकार करने में जुट गया है. इसमें सिर्फ बंदूक ही नहीं पुनर्वास की सिफारिश से भी हैं. शांति के प्रयास के लिए चल रहे ग्राउंड जीरो पर होने वाले काम को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का भी. जो अपने आप में बताती है कि देश नक्सली के नासूर से बाहर निकालने के लिए कृत संकल्पित हो चुका है.
नक्सल विरोधी अभियान को रोकने की कोशिश : छत्तीसगढ़ में चल रहे नक्सल अभियान और उसको लेकर राजनीतिक रोटी सेकने की कवायत में कुछ लोग कोर्ट में सहानुभूति की प्रक्रिया लेकर पहुंच जाते हैं. जिसमें सुरक्षा एजेंसियों पर कई आरोप भी लगा दिए जाते हैं. छत्तीसगढ़ में चल रहे नक्सलियों के खिलाफ अभियान में 2018 में सुकमा में सुरक्षा बलों के साथ हुए एनकाउंटर में जो लोग मारे गए थे उसको लेकर एक पीआईएल सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी. 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में इस पीआईएल पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच जिसे जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की अदालत में सुना गया. इसमें सुनवाई के दौरान आरोप लगाया गया था कि सुरक्षा बल ने एनकाउंटर में 15 आदिवासियों की हत्या की है जिस पर मुकदमा चलाया जाए. हालांकि सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने यह पक्ष रखा कि जो भी आरोप लगाए गए हैं वह निराधार हैं. सुरक्षा एजेंसियों के साथ जो लोग मुठभेड़ में मारे गए हैं वह सभी इनामी नक्सली थे. जो भी दावा किया गया है वह झूठा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा दखल नहीं देंगे : इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में शांति बहाली की प्रक्रिया चल रही है. लगातार नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं. ऐसे में शांति के लिए चल रहे प्रक्रिया में हम अनावश्यक रूप से दखल नहीं देंगे. इस तरह के मुकदमे शांति व्यवस्था के लिए चलाई जा रही प्रक्रिया में बाधा पैदा करते हैं. इलाके में शांति आ रही है ऐसे में इस तरह की अनावश्यक रूप से चीजों को करने का कोई औचित्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने पीआईएल खारिज कर दिया. मामला साफ है नक्सल के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में अब वैसे लोगों को भी बहुत राहत नहीं मिलने जा रही है जो राजनीतिक या फिर अपने फायदे की रोटी सकते थे.
हर हाल में नक्सल खत्म होगा : केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 10 अप्रैल को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि देश से हर हाल में नक्सलवाद को खत्म किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अध्यक्षता में चल नहीं सरकार ने नक्सलियों के खात्मे की समय सीमा तय कर दी है. उन्होंने कहा कि जो लोग समाज के मुख्य धारा से भटक गए हैं हम उनसे यह निवेदन कर रहे हैं वह समाज की मुख्य धारा से जुड़े. देश के विकास में अपनी महिती भूमिका अदा करें . क्योंकि बंदूक से किसी देश या समाज का विकास नहीं होता है. उन्होंने कहा कि सिर्फ बंदूक ही नक्सल समस्या का समाधान नहीं है. पूरे देश में नक्सलियों के पुनर्वास की नीति भी चलाई जा रही है. राज्य सरकारें उस पर काम भी कर रही हैं. हम समाज की मुख्य धारा से भटके हुए लोगों से अपील कर रहे हैं देश के मुख्य धारा में शामिल होकर देश का विकास करें. लेकिन यह भी तय है जो लोग बंदूक नहीं छोड़ेंगे उनको बंदूक से ही जवाब दिया जाएगा.लेकिन नक्सलबाद से किसी भी तरह का समझौता नहीं होगा.
बंदूक छोड़िए फिर होगी बात- 11 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जो नक्सली सरकार से बातचीत करना चाहते हैं उनके लिए सीधी और सटीक बात ये है कि सबसे पहले बंदूक छोड़कर आत्मसमर्पण करें.उसके बाद हम उनसे बात करने को तैयार हैं. देश और समाज के विकास में उनके जो भी सुझाव होंगे हम उसे हर हाल में स्वीकार करेंगे. वास्तव में नक्सली संगठन ने एक पत्र भेजकर विजय शर्मा से अपील किया था कि वह बातचीत करना चाहते हैं. इसी बात को लेकर के विजय शर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए संवाददाताओं से यह साफ कहा कि वह समय अब निकल गया है. पहले की तरह आइए बैठिए और चाय पीजिए वाली कहानी चलती थी वह अब नही होगा.
अब कोई भी बात तभी होगी जब नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे. समाज के मुख्य धारा से जुड़ेंगे उसके बाद उनकी जो भी मांग होगी हम चर्चा करने को तैयार है. साथ उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलियों के पुनर्वास की नीति को चल रही है.आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार सुविधा भी दे रही है.ऐसे में वह निवेदन करते हैं कि बंदूक छोड़कर वह समाज के मुख्य धारा से जुड़े. सरकार उन्हें हर सहायता देने को तैयार है. हालांकि विजय शर्मा ने यह भी कहा कि जब तक बंदूक छोड़ने पर अमल नहीं होगा सरकार किसी तरह की बात नहीं करेगी.
नक्सलियों से सीएम की अपील : सीएम ने कहा कि मैं यह निवेदन करता हूँ कि जो लोग भी समाज के मुख्य धारा से भटके हैं वैसे नक्सली समर्पण करके बेहतर जीवन जीए. क्योंकि विकास तभी संभव है जब लोग हिंसा छोड़ेंगे. क हिंसा से कुछ भी नहीं होना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य और जिला स्तर पर गठित समितियां द्वारा आत्म समर्पण के प्रत्येक प्रकरण की नियमित समीक्षा की जा रही है. इसमें सुनिश्चित हो रहा है कि जो लोग भी आत्मसमर्पण कर रहे हैं उनके जीवन को सकारात्मक तरीके से मजबूत किया जाए ताकि वह समाज की मुख्य धारा से जुड़कर बेहतर काम कर सकें.