रायपुर। राजनीति में ऐसे अवसर आते हैं, जब चरित्र से जुड़े मामले राजनीतिक भविष्य को झकझोर कर रख देने आमादा नजर आते हैं लेकिन जो ऐसी चुनौतियों पर फतह हासिल कर लेता है, वह दिशा को मोड़ देता है। छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर सीट का उपचुनाव राज्य की राजनीति में मुरझाए कमल के लिए वह अवसर लेकर आया, जब वह बस्तर में जीरो से आगे निकल कर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ताकत बटोर सकती है मगर उपचुनाव की निर्वाचन प्रक्रिया के बीच भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम के विरुद्ध सामने आए दुष्कर्म के आरोप ने भाजपा को सकते में ला दिया है।
आक्रामक प्रचार के साथ जंग के लिए आगे बढ़ रही भाजपा बचाव की मुद्रा में है। जबकि राजनीति में आक्रमण भी बचाव का एक तरीका है। पश्चिम बंगाल के चुनाव में ममता बनर्जी की आक्रामकता ने उनका बचाव किया। सारी कमजोरी काफ़ूर हो गई और भाजपा के नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे दिग्गज भी ममता का कोई राजनीतिक अहित नहीं कर सके। यूपी चुनाव के पहले का रोड कांड वहां भाजपा का कोई नुकसान इसलिये नहीं कर सका, क्योंकि भाजपा आक्रामक रही।
वह कमजोर नहीं पड़ी। जब गुजरात में कांग्रेस मोदी को मौत का सौदागर कहती थी तो मोदी गुजरातियों से पूछते थे कि क्या मैं मौत का सौदागर हूं। सबके सामने है कि कांग्रेस के वे नेता कहां हैं और मोदी कहां हैं। यहां ब्रम्हानंद को कांग्रेस बलात्कारी कह रही है और ब्रम्हानंद को खुद पर भरोसा है तो वे अपने मतदाताओं के बीच जाएं और उनसे पूछें कि क्या मैं आपको वह लगता हूं, जो कांग्रेस कह रही है।
क्या ब्रम्हानंद ऐसी हिम्मत दिखाएंगे। वैसे भाजपा को इस आरोप से घबराने की जरूरत नहीं है। आरोप जब तक प्रमाणित न हो, किसी भी स्तर पर दोष नहीं माना जा सकता। तब भाजपा को किसी संकोच में पड़ने की कोई जरूरत नहीं है। जो आरोप भाजपा प्रत्याशी पर लगाया गया है, उसका क्षेत्र के मतदाताओं पर कितना असर पड़ रहा है, भाजपा को यह देखना चाहिए। भाजपा अपने प्रत्याशी के बचाव में आदिवासी के सम्मान की बात कर रही है। भानुप्रतापपुर सुरक्षित है।
सभी प्रत्याशी आदिवासी हैं।तब भाजपा को जानना होगा कि आदिवासी इस आरोप को आरोप के रूप में ले रहे हैं या कांग्रेस की बात गहरा असर कर रही है। चुनाव के दौरान राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप कोई खास अहमियत नहीं रखते। छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव लोकसभा सीट के उपचुनाव के दौरान गंडई रेस्ट हाउस से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की गिरफ्तारी ने तत्कालीन प्रत्याशी देवव्रत सिंह को दिल्ली भेज दिया था।
पिछले विधानसभा चुनाव के पहले सीडी मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की गिरफ्तारी ने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना दिया था। कांग्रेस ने हथियार नहीं डाले। जूझी तो कांग्रेस के लिए वह जुझारूपन जीत का पैगाम लेकर आया। कांग्रेस ने भाजपा का सफाया कर दिया। अब चुनौती भरा अवसर भाजपा के सामने है। कांग्रेस द्वारा भाजपा के ब्रम्हानंद को बलात्कारी ठहराया जा रहा है। भाजपा सीडी कांड की याद दिला रही है। तब बेहतर यह होगा कि भाजपा खुद याद करे कि कांग्रेस ने चुनौती को किस प्रकार अपने पक्ष में कर लिया लिया था। अब भाजपा के सामने मौका है कि वह सियासी संकट में अवसर कैसे पैदा करती है।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर कह रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में कोई चुनौती नहीं है। मगर जो चुनौती भानुप्रतापपुर में है, उससे कौन निबटेगा? जरूरत जान पड़ रही है कि भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय नेताओं को जिम्मेदारी सौंप दी जाए। केंद्र सरकार के काम और आदिवासी अस्मिता पर बात की जाए। कांग्रेस से जो काम नहीं हुए, उन्हें मतदाता तक पहुंचाया जाए। मजबूती से लड़ें तो गरिमा बरकरार रहती है।राजनीति में हर विकट स्थिति से पार कैसे निकला जाए, यह देखना होगा। भाजपा को मजबूत इरादे दिखाने चाहिए।