राहुल बोले, ‘यात्रा में मेरे साथ लोग थे। लाखों लोग थे। मैं सोचता था कि मैं क्या कर रहा हूं। मकसद क्या है। मैंने अपने दफ्तर के लोगों को बुलाया। उनसे कहा कि भीड़ है लोगों को धक्का लगेगा, चोट लगेगी। हमें एक काम करना है कि मेरे साइड में 20-25 फीट तक जो जगह है, वो हमारा घर है। ये घर हमारे साथ चलेगा। सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक ये घर साथ चलेगा।
मैंने सबसे कहा कि इस घर में जो भी आएगा, अमीर हो चाहे गरीब, बुजुर्ग हो, युवा हो या बच्चा, किसी भी धर्म, किसी भी राज्य का हो, हिंदुस्तान से बाहर का हो, जानवर हो, उसे ये लगना चाहिए कि मैं आज अपने घर आया हूं। जब वो यहां से जाए तो उसे लगना चाहिए कि मैं घर को छोड़कर जा रहा हूं। जिस दिन ऐसा हुआ यात्रा जादू से बदल गई। लोग राजनीति की बात नहीं करते थे। हिंदुस्तान के लोगों ने महिलाओं ने इस देश के बारे में मुझसे जो कहा, वो आपको बता नहीं सकता। युवाओं का दर्द आपको नहीं समझा सकता।’