चार साल पुराने एक आपराधिक मानहानि में दो साल की सज़ा मिलने के एक दिन बाद शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई है.
लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी करके यह जानकारी दी है.
अधिसूचना में बताया गया है कि केरल की वायनाड लोकसभा सीट के सांसद राहुल गांधी को सज़ा सुनाए जाने के दिन यानी 23 मार्च, 2023 से अयोग्य करार दिया जाता है.
ऐसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किया गया है.
इससे पहले, राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने चार साल पुराने आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल की सज़ा सुनाई थी.
कोर्ट ने 15 हज़ार का जुर्माना भी लगाया, साथ ही सज़ा को 30 दिन के लिए स्थगित किया गया था, यानी राहुल गांधी के पास सज़ा के ख़िलाफ़ ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए एक महीने का समय है.
साल 2019 का ये मामला ‘मोदी सरनेम’ को लेकर राहुल गांधी की एक टिप्पणी से जुड़ा हुआ है जिसमें उन्होंने नीरव मोदी, ललित मोदी और अन्य का नाम लेते हुए कहा था, “कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है?”
कोर्ट के इस फ़ैसले ने राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता पर संकट मंडराने लगा था.
क्यों गई राहुल गांधी की सदस्यता?
अनुच्छेद 102(1) और 191(1) के अनुसार अगर संसद या विधानसभा का कोई सदस्य, लाभ के किसी पद को लेता है, दिमाग़ी रूप से अस्वस्थ है, दिवालिया है या फिर वैध भारतीय नागरिक नहीं है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी.
अयोग्यता का दूसरा नियम संविधान की दसवीं अनुसूची में है. इसमें दल-बदल के आधार पर सदस्यों को अयोग्य ठहराए जाने के प्रावधान हैं.
इसके अलावा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किसी सांसद या विधायक की सदस्यता जा सकती है.
इस क़ानून के ज़रिए आपराधिक मामलों में सज़ा पाने वाले सांसद या विधायक की सदस्यता को रद्द करने का प्रावधान है.
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(1) के मुताबिक़ दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, रिश्वत लेना या फिर चुनाव में अपने प्रभाव का ग़लत इस्तेमाल करने पर सदस्यता जा सकती है.
उत्तर प्रदेश में रामपुर से विधायक आज़म खान की अक्टूबर 2022 में सदस्यता रद्द कर दी गई थी, क्योंकि उन्हें हेट स्पीच के मामले में कोर्ट ने तीन साल की सज़ा सुनाई थी. हेट स्पीच की वजह से ये मामला लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(1) के तहत आता है.
हालांकि मानहानि इसमें नहीं आती है.
धारा 8 (2) के तहत जमाखोरी, मुनाफ़ाखोरी, खाने-पीने की चीज़ों में मिलावट या फिर दहेज निषेध अधिनियम के तहत दोषी ठहराए जाने और कम से कम छह महीने की सज़ा मिलने पर सदस्यता रद्द हो जाएगी.
धारा 8 (3) के तहत किसी अगर किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है और उसे दो साल या उससे अधिक की सज़ा मिलती है तो वह सदन के सदस्य बने के योग्य नहीं रह जाएगा. अंतिम निर्णय सदन के स्पीकर का होगा.
प्रावधान के मुताबिक़, वह सांसद या विधायक दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्य घोषित माना जाएगा और उसकी रिहाई के छह साल तक वह अयोग्य बना रहेगा. इसका मतलब है कि राहुल गांधी दो साल की सज़ा और उसके बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे