तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां दलितों की एंट्री नहीं थी. 100 साल बाद अब दलितों को प्रवेश मिला है. तिरुवन्नामलाई जिले में स्थित मरियम्मन मंदिर में एंट्री के बाद दलित परिवार काफी खुश नजर आए
मरियम्मन मंदिर में दलित समुदाय के लोगों की एंट्री के समय स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा प्रदान की. सब कुछ शांति के माहौल में सम्पन्न हुआ
चेल्लनकुप्पम गांव में दलितों की एंट्री के समय उनकी सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया. गांव में भारी पुलिसबल तैनात किया गया था
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मंदिर में दलितों की एंट्री को लेकर काफी सालों से आंदोलन चल रहा था. साल 1930 में महाराजा चिथिरा थिरुनल बलराम वर्मा ने मंदिर में एंट्री की इजाजत दी थी.
इसी साल जुलाई महीने में दो दोस्तों के बीच मंदिर में दलितों की एंट्री को लेकर बहस छिड़ गई थी. इसके बाद मारपीट भी हुई. जिसके बाद मामला प्रशासन के पास पहुंचा.
झगड़ा कभी अच्छा नहीं होता लेकिन चेल्लनकुप्पम में ये बदलाव झगड़े के बाद ही आया. इन दो युवाओं में एक दलित था और दूसरा वन्नियार था. ये दोनों एक ही स्कूल में साथ पढ़ें थे और फिर नौकरी के लिए चैन्नई चले गए थे.
झड़प के बाद दलितों ने जिला राजस्व और पुलिस अधिकारियों को याचिका दायर कर मंदिर में उनकी एंट्री सुनिश्चित करने का आग्रह किया.