कर्नाटक में चुनाव परिणाम आ गए हैं, चुनाव को लेकर जो भी चर्चाएं चल रहीं थी उनकी परिणिति हो गई है। कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है और भाजपा को हार का समाना करना पड़ा। तीसरी पार्टी जेडीएस को बड़ा झटका लगा है। उसका पूरा वोटबैंक शिफ्ट हो गया है। कांग्रेस की जीत के कई कारण रहे। अपने विशेष कार्यक्रम खबरों के खिलाड़ी में हमने विश्लेषकों से इन्हीं कारणों को जानने की कोशिश की।
जातीय समीकरण बिठाने में चूक गई भाजपा
विश्लेषक अदिति अनंतनारायण का कहना है कि ये भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की गलती है। इस बार भाजपा की जातिगत रणनीति बिगड़ गई। लिंगायत वोटबैंक बिखरा। इसकी वजह येदियुरप्पा की अचानक विदाई भी रही। 80 प्रतिशत मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिले। वोक्कालिगा और अन्य जातियों का समर्थन भी कांग्रेस को मिला। वरिष्ठ पत्रकार पूर्णिमा त्रिपाठी का कहना है कि कर्नाटक में हार जीत के लिए कोई एक मुद्दा नहीं हैं। हार की जिम्मेदारी पीएम मोदी और अमित शाह की भी है। स्थानीय लोग मुद्दों पर चुनाव चाहते थे लेकिन प्रचार के दौरान बजरंग बली के मुद्दे पर प्रचार किया, जिसका भाजपा को नुकसान हुआ। कांग्रेस की प्रचार नीति मुद्दों पर फोकस रही। प्रियंका गांधी फैक्टर थीं, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और खरगे का कर्नाटक से आना भी कांग्रेस को फायदा हुआ।
बजरंग दल विवाद का कांग्रेस को मिला फायदा
राजनीति विश्लेषक शिवम त्यागी का कहना है कि जिस हिसाब से भाजपा सोच रही थी कि बजरंग दल विवाद का उन्हें फायदा मिलेगा लेकिन इसका उल्टा हुआ और कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिम मतदाता लामबंद हुए। इमरान प्रतापगढ़ी ने भी अपने बयानों से तुष्टिकरण करने की कोशिश की। जब पीएम मोदी गुजरात में जीत जाते हैं तो उनके करिश्मे की बात होती है लेकिन हार जाते हैं तो सवाल उठने लग जाते हैं। प्रधानमंत्री के इतने चुनाव प्रचार के बावजूद भाजपा का 60 सीटों पर सिमटना सवाल खड़े करता है।
प्रचार की अधिकता भाजपा को पड़ी भारी
वरिष्ठ पत्रकार पंकज शर्मा ने कांग्रेस की जीत के कारण बताते हुए कहा कि कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण उसकी एकजुटता, फोकस तरीके से रणनीति बनाना रहा। वहीं भारत के प्रधानमंत्री से लोग इतना चुनाव पिपासु होने की आशा नहीं करते। पिछले कुछ समयों में अति हो गई है और लोग उक्ता गए हैं। ये भाजपा की हार की एक बड़ी वजह रही। राज्यों के चुनाव में पीएम की उपस्थिति प्रतीकात्मक होती है लेकिन जिस तरह से पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री के बजाय बीजेपी के पीएम के तौर पर अपनी भूमिका निभाई है उससे लोग ऊब गए हैं।