बस्तर के आदिवासी हस्तशिल्पी पंडीराम मंडावी को मिलेगा पद्मश्री, कैंब्रिज म्यूजियम में रखी है काष्ठ कलाकृति

बस्तर के आदिवासी हस्तशिल्पी पंडीराम मंडावी को मिलेगा पद्मश्री, कैंब्रिज म्यूजियम में रखी है काष्ठ कलाकृति

छत्तीसगढ़ शासन ने भी हस्तशिल्प के क्षेत्र में शिल्प गुरु की उपाधि से सम्मानित किया है। उनके कई शिष्य भी काष्ठ शिल्प के क्षेत्र में अच्छा काम करते हुए स्वरोजगार का माध्यम बना चुके हैं।

बस्तर का काष्ठ शिल्प
वैश्विक स्तर पर बस्तर के काष्ठ शिल्प की कीर्ति बढ़ाने वालों में अनेकानेक शिल्पियों का योगदान है। बस्तर संभाग में गढ़बेंगाल, कोहकापाल, लामकेर, भोंड आदि कुछ ऐसे भी गांव हैं, जिनकी पहचान ही शिल्पकारों के कारण है।

गढ़बेंगाल के आदिवासी कलाकार पंडीराम मंडावी (65 वर्ष) मंझे हुए शिल्पी हैं। उनकी बनाई काष्ठ की कलाकृतियां देश के महानगरों में बड़े होटलों, एम्पोरियम में शोभा बढ़ाती हैं।

कैंब्रिज विश्वविद्यालय में उनकी काष्ठ कलाकृति
देश के बाहर इंग्लैंड के प्रतिष्ठित कैंब्रिज विश्वविद्यालय के संग्रहालय (म्यूजियम) में पंडीराम की बनाई काष्ठ कलाकृति शोभायमान है। 2016 में उन्होंने इस संग्राहालय के लिए मेमोरियल पिलर (मृतक स्तंभ) तैयार किया था।

काष्ठ शिल्प कला पुश्तैनी काम
बता दें कि बस्तर की प्राचीन आदिवासी संस्कृति में मृतक स्तंभ स्थापित करने की परंपरा पुरानी है। यहां सैकड़ों वर्ष पुराने मेगालिथिक साइट मिलते हैं। बिना किसी तामझाम के हस्तशिल्प और ललित कलाओं के क्षेत्र में कर रहे पंडीराम मंडावी के लिए काष्ठ शिल्प कला पुश्तैनी काम है। उनके पिता स्वर्गीय मंदेर मंडावी भी बड़े कलाकार थे।

पिता से शिल्पकारी की बारीकियां सीखी
पंडीराम ने पिता से शिल्पकारी की बारीकियां सीखी और आज सिद्धहस्त कलाकार हैं। जापान, इटली, फ्रांस, जर्मनी आदि आधा दर्जन देशों में भारत महोत्सव में शामिल होकर काष्ठ शिल्प का प्रदर्शन कर चुके हैं। देश-विदेश से शिल्पकला के जानकार और शोधार्थी नारायणपुर आते हैं तो पंडीराम से मिलने जरूर जाते हैं।

Chhattisgarh