विधवा सास को दोनो बहूयें भरण-पोषण दें

विधवा सास को दोनो बहूयें भरण-पोषण दें

शासकीय कर्मचारी का अवैध रिश्ता आयोग ने दिया जांच का आदेश ।

आवेदिका को 86 हजार रूपये का चेक दिलाया।

आवेदिका को एक मुश्त भरण-पोषण 5 लाख रूपये नगद दिलाया गया।

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 224 वीं व जिला स्तर पर 103 वीं सुनवाई हुई। रायपुर जिले में आयोजित जनसुनवाई में कुल 25 प्रकरण में सुनवाई की गई।

दोनों पक्षों को सुना गया अनावेदक शासकीय सेवा ग्रेड 02 में कार्यरत है जो अवैध रूप से अन्य महिला को अपने साथ रखे हुए हैं। शासकीय सेवा में रहते हुये अपने पत्नी से बिना तलाक के अवैध रिश्ते को बढावा दे रहा है आवेदिका का कथन है कि तीनों बच्चों को पढ़ाई। -लिखाई एवं भरण-पोषण के लिए अनावेदक खर्च नहीं दे रहा है। अनावेदक ने 25 हजार रूपये अपने वेतन से आवेदिका के खाते में दिये जाने पर सहमति दी किंतु आवेदिका 30 हजार की मांग कर रही है। आयोग के द्वारा काउंसलर की नियुक्ति की गई। जो गुप्त सूचना दिये जाने पर निरीक्षण करे कि अनावेदक ने दूसरा विवाह किया है अथवा नहीं। आगामी सुनवाई में अनावेदक को अन्य महिला को भी आयोग में उपस्थित करने का आदेश दिया गया। ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि कुटुंब न्यायालय रायपुर में समझौते के दौरान अनावेदक ने 15 लाख रु. व डेढ़ एकड़ जमीन आवेदिका को देने का प्रस्ताव रखा। इस दौरान अनावेदक अपनी शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त हो गया और अपनी बात से मुकर गया। जिसके कारण दोनों का तलाक पूर्ण नही हुआ था और अनावेदक ने आवेदिका को बिना तलाक के दूसरी महिला से विवाह कर लिया। सेवा पुस्तिका में भी अनावेदक ने दूसरी महिला का नाम दर्ज करा दिया। सेवा पुस्तिका में नाम दर्ज होने से यह साबित होता है कि अनावेदक की दूसरी पत्नी हैं जिसको अनावेदक ने आयोग की सुनवाई के दौरान कबुल किया। इस मामले का निराकरण न्यायालय से हो चुका है इसलिए आवेदिका पुनः न्यायालय जा सकती है इस आदेश के साथ आयोग ने प्रकरण नस्तीबद्ध किया।

अन्य प्रकरण में आवेदिका को एक मुक्त भरण-पोषण आयोग द्वारा 5 लाख रुपये नगद दिलाया गया।

अन्य प्रकरण में पिछली सुनवाई आयोग के द्वारा दिये गये निर्देश का पालन कर अनावेदक द्वारा आवेदिका को बेढ साल पुराना 10 माह का बकाया वेतन 85 हजार रू. का चेक प्रदान किया गया। आवेदिका की पूर्ण संतुष्टि के साथ प्रकरण नस्तीवाद किया गया। अन्य प्रकारण में दोनों पक्षों को सुना गया दोनों पक्षों ने अपने लिखित दस्तावेज आयोग में

प्रस्तुत किया था। आयोग द्वारा यह समझाइश दिया गया कि दोनो पक्ष एक-दूसरे को लिखित

रूप से कॉपी देंगे जिसकी सूचना देने के बाद पुनः सुनवाई किया जायेगा। अन्य प्रकरण में आवेदिका के तीन पुत्र एवं पुत्री थी। जिसमें से दो पुत्र का निधन हो गया है व आवेदिका के पति की मृत्यु भी हो चुकी है। दोनों पुत्र शासकीय नौकरी पर थे जिनके निधन के बाद उनके बहुओं को अनुकंपा नियुक्ति मिला है। जिसमे बढ़ी बहू को 25 हजार रू तथा छोटी बहू को 15 हजार रू मासिक वेतन मिलता है। आवेदिका ने बताया कि दोनों बहुओं द्वारा कोई भी भरण-पोषण नहीं दिया जाता। अनावेदक बहूओं द्वारा सम्पत्ति के मामले में हमेशा परेशान किया जाता है और झूठे केस में फंसाने की धमकी भी दिया जाता है आयोग आवेदिका को घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराने की बात कही और दोनों बहुओं से मरण-पोषण भी ले सकती है कहा। कृदजानों के लिए संरक्षण के तहत दोनों के खिलाफ न्यायालय में परिवाद भी दायर करने का सुझाव दिया गया।

अन्य प्रकारण में आयोग ने थाना धमतरी को पिछली सुनवाई में पत्र भेजा था जिसमें थाना धमतरी के सह उपनिरीक्षक द्वारा उपस्थित होकर मौखिक सूचना दिया गया कि अनावेदकगण आयोग में उपस्थिति से इंकार कर रहे है। आयोग ने थाना प्रभारी धमतरी को ए.एस.आई से पत्र भेजेगा जिसमें यह निर्देश दिया गया कि अनावेदकगणों के कब्जे से आवेदिका के समस्त जेवरातों और जेवरात से संबंधित दस्तावेजों को भी जब्त किया जायेगा और अनावेदकगणों के पास गहने गिरवी रखने के संबंध में कोई भी वैधानिक लाइसेंस होगा तो उसकी पुष्टि भी करेंगे एवं 1 माह के अंदर आयोग में रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। आयोग ने टिप्पणी करते हुये कहा कि क्यों तो अनावेदकगण के विस्तद एफआईआर दर्ज किया जाये।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक क्र. 1 ने शादी का झूठा प्रमाण बनाया जबकि उसकी पहली पत्नी से उसका तलाक नहीं हुआ है। आयोग की सुनवाई में पहली पत्नी ने बताया कि उनकी शादी सन् 2001 में हुआ था, उनके दो बच्चे है जिसमें पुत्री 21 व पुत्र 20 वर्ष का है। अनावेदक के 01 के सेवा पुस्तिका में पहली पत्नी व दोनो बच्चों का नाम दर्ज है आयोग ने अनावेदिका क02 को यह सुझाव दिया कि अगर वह चाहे तो अपने पति के विभाग में लिखित शिकायत दर्ज करा सकती है और यह भी प्रमाणित कर सकती है कि उससे तलाक लिया बिना झूठा हलफनामा देकर टिकरापारा आर्य समाज में दिनांक 12/12/2021 को अनावेदक ने दूसरा विवाह किया है जो कि अवैध एवं शून्य है जो कि कानून के खिलाफ होने के कारण अनावेदक क्र. 01 पत्ति को शासकीय सेवा से निष्कासित करने के लिए पर्याप्त है। इस आदेश के साथ आयोग ने प्रकरण नस्ती किया।

अन्य प्रकरण में आयोग द्वारा अनावेदक एएसआई खरीरा से पूछा गया कि यदि कोई बाहरी व्यक्ति घर में घुस कर चोरी करेगा तो घर मालिक विरोध नहीं कर सकता क्या? जिसके जवाब में अनावेदक ने कहना था कि ऐसे करने वाले पर अपराधिक कार्यवाही की जा सकती है। आयोग ने आवेदिका को निर्देशित किया कि वह एएसआई के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करवा सकती है और अपनी जमीन पर पहले की तरह अपनी फसल ले सकती है। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

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