मोदी जी – योगी जी अब तो इंतेहा हो गई, स्कूल, नदी, अस्पताल को रोतीं आंखों ने श्मशान बनते देखा है। बताईए ना आखिर जिन्दगी कहां जियेगी, कब मुस्कुरायेगी ?
"शेख अंसार की कलम से" सरकारी लापरवाही और अनदेखीपन से मौत के सिलसिले ने बच्चों के स्कूल को श्मशान बना देता है, कोरोनाकाल में गंगा की लहरों में लाशें तैरती है, गोरखपुर के बाबा राघव…