मामले की शुरुआत तब होती है, जब ईडी के अफसरान 4 अगस्त 2024 को मुम्बई के सराफा व्यापारी विपुल ठक्कर के संस्थान मेसर्स वीएस गोल्ड के चार ठिकानों पर छापा मारते हैं। छापे के अगले ही दिन से सहायक निदेशक ( ईडी ) संदीपसिंह द्वारा फर्म के संचालक विपुल ठक्कर को ले – देकर मामले को निपटाने का संकेत देते है। विपुल ठक्कर कोई देवदूत तो है नही आखिरकार मुम्बई के कारोबारी हैं। वह एक शिकायती पत्र के माध्यम से सारे घटनाक्रम की जानकारी सीबीआई को दे देते हैं। अब इस सम्पूर्ण घटनाक्रम में सीबीआई सम्मिलित होकर ईडी अधिकारी को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाते हैं। सीबीआई के निर्देश पर ही कारोबारी विपुल ठक्कर मांडोली की दिशा में बढ़ने लगते हैं। सहायक निदेशक संदीपसिंह शुरुआत में 25 लाख रूपयों की मांग करते, लेकिन मामला तय हुआ 20 लाख रूपये में 7 अगस्त 2024 को तय रकम लेकर कारोबारी मुम्बई से दिल्ली लाजपत नगर पहुंचते हैं। योजना के अनुसार इधर से ईडी अधिकारी संदीपसिंह निर्धारित स्थान लाजपत नगर पहुंचते हैं, पहले से घात लगाकर बैठी सीबीआई की टीम संदीपसिंह को दबोच लेती है। गिरफ्तार ईडी के सहायक निदेशक संदीपसिंह पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 (a) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 एवं धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है।
सीबीआई के गिरफ्त में आए अधिकारी संदीपसिंह के विषय में जो जानकारी प्रकाश आई है वह यह है, कि प्रवर्तन निदेशालय में पदस्थ सहायक निदेशक संदीपसिंह का मूल विभाग ईडी नही है। संदीपसिंह अपने राजनीतिक संबंध – सम्पर्क के कारण ईडी में प्रतिनियुक्ति पर भेजे गये है। संदीपसिंह का मूल विभाग केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ( Central board of direct taxes ) है।
मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, नेताओं, अभिनेताओं, अधिकारियों, कर्मचारियों को दौड़ा थकाकर पकड़ने वाली ईडी के अपने सहायक निदेशक खुद सलाखों के पीछे पहुंच गया है।
क्या है मामला…
कड़ी सजा दिलाने के नाम पर डराया
CBI की जांच में सामने आया है कि गुपचुप तरीके से संदीप सिंह ने एक मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंसे जौहरी के परिवार के साथ डील की थी. उसने पहले जौहरी के बेटे को कड़ी सजा दिलाने के नाम पर डराया. इसके बाद रिश्वत देकर राहत दिलाने की बात कही. रिश्वत के रूप में 20 लाख रुपए देने पर डील डन हो गई थी. इसके बाद अधिकारी ने जौहरी के बेटे को को लाजपत नगर बुलाया था, जहां सीबीआई ने उसे पकड़ लिया.
पहले भी रिश्वत लेने के मामले में हो चुकी है गिरफ्तारी
इससे पहले भी सीबीआई रिश्वत लेने के आरोप में ED के अधिकारियों को गिरफ्तार कर चुकी है. सीबीआई ने अगस्त 2023 में पांच करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में ईडी के एक सहायक निदेशक सहित छह अन्य अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. इन अधिकारियों पर आरोप लगा था कि उन्होंने दिल्ली शराब घोटाला मामले में दिल्ली के व्यापारी अमन ढल्ल को बचाने के एवज में रिश्वत ली थी.