शेख अंसार की कलम से….
जैसे ही हमारा प्रतिनिधि मंडल दाऊ कल्याणसिंह भवन में स्थित मंत्रालय के सीएम अजीत जोगी के कक्ष में दाखिल हुआ, मुख्यमंत्री अजीत जोगी बेहद गर्मजोशी से पहलू बदलते हुए कहते हैं आईए जनकलाल ठाकुरजी आईए … मुख्यमंत्री अजीत जोगी आगे कहते हैं मैं सोच ही रहा था कि सभी लोग आये लेकिन छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के साथी अब तक कैसे नहीं आये !
फिर उन्होंने आगे, कहा कैसे आएं हैं ?
हमारी ओर से बताया गया, कि नियोगी जी का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। हम चाहते हैं अभियोजन पक्ष को सहयोग करने के लिए ओर छत्तीसगढ़ सरकार सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सुशील कुमार को मुकर्रर कर ली जाए ताकि सीबीआई के वकील को मदद मिल सके और केस को और प्रबल तरीके सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जा सकें।
उन्होंने हमारे अधिवक्ता नियुक्ति के आवेदन पत्र के एक कोने में हरे कलर में लिखा …
Law dept. (S) Appointed Adv.Sushilkumar
Ajit 6/11/2001 लिखकर पत्र हमारी ओर बढ़ाते हुए कहा आप लोग मिन्हाजुद्दीन साहब से मिल लीजिएगा।
भिलाई आन्दोलन की चर्चा होने पर प्रसंगवश मुख्यमंत्री अजीत जोगी कहते आप लोगों ने 1 जुलाई 1992 को भिलाई में रेल रोको आन्दोलन किया था। 24 अप्रैल 1997 को कुम्हारी में रेल रोको आन्दोलन किया। जिस दिन हमारी सरकार शपथग्रहण कर रही थी उस दिन 2 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के द्वारा सरोना रेल्वे स्टेशन के समीप रेल रोको आन्दोलन किया गया। आप लोगों के अचानक कार्यक्रम से कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो जाती है। इसीलिए आप लोग बताईए 19 दिसम्बर 2001 शहीद वीरनारायणसिंह शहादत दिवस कार्यक्रम में क्या करने वाले हो ? फिर बिना रूके जोगी जी कहते हैं आप लोग सरकार के साथ 10 दिसम्बर को वीरनारायणसिंह दिवस मनाइये। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को सिरे से अस्वीकार कर दिया।
ऐतिहासिक अभिलेख एवं जनश्रुति के अनुसार वीरनारायणसिंह का शहादत 19 दिसम्बर 1857 है।
19 दिसम्बर 1979 से पहले क्या किसी सरकार ने 10 दिसम्बर या किसी अन्य तिथि में वीरनारायणसिंह का शहादत दिवस मनाया हैं ? तो फिर समझ लीजिए प्रसंग एकदम सरल है -1856 -1857 में जमाखोर, साहूकार, साम्राज्यवादी के खिलाफ जनसंग्राम में वीरनारायणसिंह ने जिन गरीब किसान, ग्रामीणजनो वंचित तबके के लिए विद्रोह का बिगुल फूंका और अपनी जान तक दे दी। छत्तीसगढ़ की मजदूर किसान का संगठन छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने लगभग 82 वर्षो पश्चात उनकी विरासत की अगली पीढ़ी ऐतिहासिक कार्यभार का जिम्मा लेकर उनके रास्ते में चलने को संकल्पित हुई एवं वीरनारायणसिंह के विचारधारा को जन – जन तक पहुंचाये जाने से आज के हुक्मरान इतिहास की पुनरावृत्ति से भयभीत होने लगे हैं।