बाहर निकल पाएंगे या नहीं सताने लगी चिंता
करोड़ों के कोयला घोटाले और मनी लांड्रिंग के आरोप में रायपुर सेंट्रल जेल में बंद अफसर, नेताओं और कारोबारियों के दिन पूजा-पाठ करने और साहित्य पढ़ने में बीत रहे है। ईडी की कार्रवाई के बाद पूर्व आइएएस समीर विश्नोई, रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी, सुशील अग्रवाल, निखिल चंद्राकर समेत अन्य आरोपित सेंट्रल जेल में बंद हैं।
कोयला घोटाले के आरोपितों की दिनचर्या को जानने के लिए जेल के जानकार सूत्रों की मदद ली। सूत्रों ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के आने के बाद से सभी आरोपितों के चेहरे की हवाईयां उड़ी हुई है। तीन दिन पहले दो आरोपितों की जमानत याचिका उच्चतम न्यायालय से खारिज हो चुकी है। ऐसे में उनकी चिंता और बढ़ गई है। जेल में कब तक रहना होगा, इसे लेकर सभी आरोपितों की नींद उड़ी हुई
करवटें बदल-बदल कर गुजार रहे रात
जेल के सूत्रों की मानें तो कोयला घोटाले के अधिकांश आरोपित अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। पता नहीं आगे क्या होगा, इस चिंता में करवटें बदल-बदल कर रात गुजार रहे हैं।
अस्पताल में भर्ती होने का नहीं मिल रहा लाभ
जेल प्रशासन की नजर हमेशा इन हाईप्रोफाइल आरोपितों पर लगी हुई है, हालांकि जेल नियमावली के अनुसार ही सभी को अन्य बंदियों की तरह सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। सभी आरोपित हाईप्रोफाइल हैं, इसका फायदा भी उन्हें जेल के भीतर आसानी से मिल रहा था। सूत्रों की मानें तो कुछ कारोबारी, नेता तो बीमारी का बहाना बनाकर कई दिनों तक आंबेडकर अस्पताल में भर्ती होकर मौज काटते थे, लेकिन अब वह दिन लद गए। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से आसानी से उपलब्ध होने वाली सुविधा पूरी तरह से बंद कर दी गई है। हालांकि जेल प्रशासन कोयला घोटाले के किसी भी आरोपित को विशेष सुविधा देने से इन्कार करता रहा है।