प्रदेश भाजपा महामंत्री केदार कश्यप ने कहा कि तोड़ने में भरोसा करने वाली कांग्रेस खुद टूट रही है। कांग्रेस में भले लोगों का कोई काम नहीं है। महंत रामसुंदर दास के साथ कांग्रेस ने राजनीति की। पूरे प्रदेश में सर्वाधिक अंतर से हार के बाद उन्हें कांग्रेस के भीतर का खेल समझ में आ गया तो उन्होंने इस्तीफा दे दी। कई और वरिष्ठ कांग्रेसियों ने पार्टी छोड़ दी। अब वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने भी इस्तीफा दे दिया है।
यह कांग्रेस की अंतर्कथा का प्रमाण है। नंद कुमार साय को भूपेश बघेल ले तो गए लेकिन उन्हें यथोचित सम्मान नहीं दिया। आदिवासी समाज का सम्मान केवल भाजपा ही कर सकती है। कांग्रेस आदिवासी नेताओं का सिर्फ दोहन करने का काम करती है। आदिवासी शोषण कांग्रेस का इतिहास रहा है। नंद कुमार साय चंद महीनों में भूपेश बघेल और कांग्रेस की असलियत से परिचित हो गए हैं।
केदार कश्यप ने कहा कि पांच वर्ष के शासनकाल में कांग्रेस के कार्यकर्ता हर तरह से अपमानित हो रहे थे। अब उनका आक्रोश व्यक्त हो रहा है। कांग्रेस को अब आत्ममंथन करने की जरूरत है, लेकिन वह यह करने के बजाय अपने नेताओं के आक्रोश व आवाज को दबाने के अलोकतांत्रिक रवैए का परिचय दे रही है।