भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए शुरू हुई ‘स्कूल जतन योजना’ में भ्रष्टाचार की जांच होगी। इसके तहत प्रदेश के 30 हजार स्कूलों में अतिरिक्त कक्षा निर्माण, जर्जर भवनों की मरम्मत आदि के लिए 2,000 करोड़ रुपये जारी किए गए। सरकार को लगातार शिकायत मिल रही थी कि भवन मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई।
ऐसे स्कूलों की संख्या भी काफी अधिक है जिनमें काम पूरा होना बताया गया परंतु काम हुए ही नहीं। कई स्कूलों में निर्माण की गुणवत्ता खराब पाई गई है। पिछले दिनों स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जांच के निर्देश दिए थे। अब स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेसी ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है।
स्कूल शिक्षा सचिव के निर्देश सचिव परदेसी ने पत्र में लिखा है कि डीएम द्वारा स्वीकृत किए गए कार्यों के औचित्य, उसकी वास्तविक आवश्यकता, पूर्ण अथवा प्रगतिरत कार्यों की गुणवत्ता और वास्तविक लागत की जांच की जाए। यह सुनिश्चित हो कि निर्धारित निर्माण एजेंसी द्वारा ही कार्य किया जा रहा है। कार्यों की गुणवत्ता की जांच विशेषज्ञ समिति करे। जांच में गड़बड़ी मिलते ही कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए व निर्धारित अवधि में रिपोर्ट लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक को दी जाए।