कोर्ट में प्रतिष्ठित न्यायनारी की प्रतिमा न्याय की प्रतीक हो सकती है, बुल्डोजर तो निसंदेह विध्वंस का ही प्रतीक है !
न्यायालय में प्रतीकात्मक तौर पर न्यायनारी प्रतिष्ठित की जाती है। कहते हैं इस नारी में शील, शान्ति, करूणा, कानून और आशा विद्यमान होती है। जिसके हाथों में तराजू होता लेकिन उसके आंखों में पट्टी बंधी होती है, ताकि वह किसी को देख न सके, बिना देखे न्याय की इबारत लिखती रहें। लेकिन यक्ष प्रश्न तो यह है, कि आजाद भारत में कितनो को न्याय मिला, इसका आसानी से मीमांसा की जा सकती है।
हाल – फिलहाल राजनीतिक परिदृश्य में इस न्यायनारी का स्थान बुल्डोजर दैत्यपुरुष ने ले लिया है। कल – पुर्जो से निर्मित दैत्याकार बुल्डोजर की आंखें और दिल नही होती है, फिर भी वह समुदाय विशेष को देख ही लेता है। रौंद डालता जिन्दगी सारे आयामों को, भेद करता है, हिन्दू और मुसलमानो मे, पलभर में जमींदोज कर डालता है, मकान दुकान इंसानी जरूरतों को, कोई बताए यह बुल्डोजर कैसे न्याय का प्रतीक हो सकता है ? यह तो विध्वंस का द्योतक – प्रतीक है।
एक तरफ गोकशी के हत्यारे, एक तरफ मानववध के लिए आमादा विधायक, ये कोई सामान्य कार्यकर्ता नही है, इन्हें सत्ता के शीर्ष पदों पर आसीनो का वरदहस्त एवं संरक्षण प्राप्त है। ये सारे अपराधों में तो संलिप्त हैं होते हुए बुल्डोजर न्याय के हामी – समर्थक है। ये इंसान कहां ये तो जल्लाद है जल्लाद। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कब चलेगा इनके घरों में बुल्डोजर प्रतीक्षारत है भारत की न्यायप्रिय जनता !
उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद में बड़े – बड़े अखबारों में मोटे – मोटे हर्फो में प्रकाशित है, कि गोवध विरोध के नामधारियो ने ही करायीं थी गोकशी चार गिरफतार। संगठन के जिला प्रमुख ने गौवध कराया था। कैसे गोवध का विरोध अभियान चलाते – चलाते अचानक से एसएचओ (स्टेशन हेड ऑफिसर ) के खिलाफ प्रदर्शन करने लग गये।
महाराष्ट्र के उल्हासनगर पुलिस स्टेशन ( थाणे ) में घूसकर भाजपा विधायक गणपत गायकवाड़ उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस खेमे के खासम – खास अपने ही पार्टी के सदस्य गोली चलाकर मानववध का प्रयास किया।