ईस्लाम पर यकीन – ए – कामिल रखने वाले और संविधान की इजाजत पर दिल्ली के इन्द्रलोकपुरी इलाके के बड़ी मस्जिद के सामने रोड़ के एक किनारे जुमे की नमाज अदा कर रहे थे, उन पर दिल्ली पुलिस का एक सरफिरा, अर्धविक्षिप्त सब इंस्पेक्टर मनोजकुमार तोमर ने जो हैवानियत से पेश आया उससे दिल्ली पुलिस और उनके सरपरस्तों की पूरी दुनिया में छी छी थू थू हो रही है।
ईस्लाम के तौर – तरीके सलाहियत, काबिलियत और ताकत पुरी दुनिया जानती है। नमाज के पहले अज़ान होती है, दुआ पढ़ते हैं, फिर अकामत, नियत बांधी जाती, कहने का मतलब है अरकान – ए – नमाज़ में वक्त लगता है। एकाएक कोई बंदा सजदे में नही चला जाता, दिल्ली पुलिस का यह पागल सब इंस्पेक्टर लात – ठोकर कब मारता है, बंदा जब सजदे की हालत में होता है। अगरचे दिल्ली पुलिस या उसके सरपरस्तों को किसी किस्म का इतराज था, तो पहले ही रोकथाम करते पुलिस के आला अफसरान के जो बयानात सामने आयें है उसमें उन्होंने पूरी तस्दीक के साथ कहा कि मार्ग अवरूद्ध नही थे।
इस सच्चाई के हम जरूर हामी है, कि नमाज़ – ए – जुमा होने के कारण कुछ सफे मस्जिद के बाहर तक थी। नमाज़ अदा करने में कितना वक्त लगता है ? जो यह शराबी इंस्पेक्टर पूरी हैवानियत से जूतम – पैजार करने लग गया। दिल्ली केंद्र शासित सूबा है जहां की पुलिस केन्द्र सरकार से नियंत्रित होती है। हम मानसिक तौर पर उस वहशी के सिर्फ निलम्बन से इत्तेफाक नही रखते है। बल्कि हम सरकार से मांग करते ऐसे बीमार मानसिकता वाले पुलिस कर्मियों का इलाज होना चाहिए, इलाज तो उस असामाजिक तत्वों, देशद्रोही तत्वों का भी होना चाहिए जो ऐसी मानसिकता बनाने के लिए दिन – रात नफ़रत और ज़हर का खाद – पानी देकर ऐसे विक्षिप्त लोगों को पाल – पोस कर तैयार कर रहे हैं। ऐसी ही मानसिकता के वश में था आरपीएफ का सिपाही चेतनसिंह जो 31 जुलाई 2023 को जयपुर – मुम्बई सुपर फास्ट एक्सप्रेस में पालघर स्टेशन के पास सबसे पहले अपने इंचार्ज टीकाराम मीणा को गोली मारता फिर नाम पूछ – पूछकर अब्दुल कदीर, असगर अब्बास, सैय्यद सैफुल्लाह को मार गिराता था।
*गनीमत है इंस्पेक्टर के पास पिस्तौल नहीं थी, वरना वह गोली चलाता, इस इंस्पेक्टर ने साम्प्रदायिक सद्भाव में खलल डालने का प्रयास किया है लेहाजा बर्खास्त कर देशद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए !