बीजेपी का सामना करना मुश्किल…ना मुमकिन नहीं है।राजनीतिक विज्ञानी आसिम अली कहते हैं कि बीजेपी के नैरेटिव को मीडिया, बिज़नेस और समाज के बड़े हिस्से का समर्थन हासिल है.
लेकिन विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं है.
गठबंधन मोदी सरकार की नौकरियों के मोर्चे पर विफलता को रेखांकित करता रहा है.
ये दल बीजेपी के मुस्लिम विरोधी बयानों, मीडिया पर कथित हमलों और सियासी विरोधियों की प्रताड़ना का विरोध करते रहे हैं.
ये दल दिसंबर में संसद से निलंबित किए गए 140 विपक्षी सांसदों के मुद्दे पर भी एकमत थे.
लेकिन वेर्नियर कहते हैं कि विपक्षी गठबंधन में कोई वैचारिक एकरुपता नहीं है जो उन्हें एकट्ठा रख पाए.
विशेषकर बीजेपी और मोदी के हिंदू राष्ट्रवाद की काट उनके पास नहीं है.
बीजेपी लोकप्रिय नेता, कुशल संगठन और अच्छे संसाधनों वाली पार्टी है. उससे लड़ना आसान नहीं है.
आज़ादी से लेकर 1977 तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस के ख़िलाफ़ एकजुट होने के लिए विपक्ष को लंबा वक़्त लगा था.
1977 में कांग्रेस को हराने वाली जनता पार्टी में भिन्न-भिन्न विचारधाराओं वाले दल थे.
ये दल इंदिरा गांधी की ओर से लगाई गई इमरजेंसी के विरोध में एक साथ आए थे.
लेकिन आंतरिक विरोधाभासों से चलते ये गठजोड़ दो साल में ही धराशाई हो गया था. मगर जनता पार्टी ने ये दिखा दिया कांग्रेस को हराना मुमकिन है.