डोनाल्ड ट्रम्प के शपथग्रहण समारोह में जहां दबंगता और दर्प का शोरगुल था, वहीं इंसाफपसंद, अमनपसंद लोगों के अधिकारो का विनयशील गूंज भी था।

डोनाल्ड ट्रम्प के शपथग्रहण समारोह में जहां दबंगता और दर्प का शोरगुल था, वहीं इंसाफपसंद, अमनपसंद लोगों के अधिकारो का विनयशील गूंज भी था।

डोनाल्ड ट्रम्प के उस दुस्साहस की चर्चा राजनीतिक फिज़ा में ‌खूब जोरों से हो रही है, कि डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को न बुलाकर भारत के ही मोस्ट वांटेड गुरपतवंत सिंह पन्नू को बुलाया जो डोनाल्ड ट्रम्प के शपथग्रहण समारोह में पूरी ठसक के साथ खालिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाया। गुरपतवंत सिंह पन्नू एक कनाडाई – अमेरिकी वकील और सामाजिक – धार्मिक कार्यकर्ता हैं, कहते हैं पन्नू खालिस्तान आंदोलन के मुख्य नेताओं में से एक हैं।‌ वह सिख फॉर जस्टिस ( SFJ ) नामक संगठन के कानूनी सलाहकार और प्रवक्ता भी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है डोनाल्ड ट्रम्प के शपथग्रहण समारोह में पन्नू के खालिस्तान जिंदाबाद के नारे से मानो डोनाल्ड ट्रम्प मोदीजी को मानो यह संदेश देना चाहते हो कि भारत की एकता अखंडता में हमारी दखलअंदाजी रहेगी।

दूसरी ओर अमेरिका मे ही शपथग्रहण स्थल कैपीटल रोटुंडा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण के दौरान एक महिला बिशप मैरिएन एडगर बुडे ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचते न केवल शपथग्रहण समारोह में अपितु पुरी दुनिया की खामोश‌ होंठों को डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ बोलने का हौसला देते हुए डोनाल्ड ट्रम्प के समक्ष कुछ प्रश्न अपनी नसीहत के साथ उठाया।

उस बहादुर महिला ने डोनाल्ड ट्रम्प के आंखों में आंखें डालकर बोला – मिस्टर प्रेसिडेंट आप एलजीबीटी समुदाय और आप्रवासी लोगों पर किसी किस्म सख्ती न कर सहानुभूतिपूर्वक अमेरिका में जीवनयापन करने की अनुमति देंगे। महिला बिशप के सार्वजनिक तौर ऐसा कहने से डोनाल्ड ट्रम्प नाराज हो गये। लेकिन महिला बिशप के चेहरे में भय के बजाय बेहद संतोष का भाव था।

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