महाचूक से निर्दोष, निरीह, निरापराध, लोगों की अकाल मौतें हुई है, इसे कौन कहेगा मोक्ष … ?

महाचूक से निर्दोष, निरीह, निरापराध, लोगों की अकाल मौतें हुई है, इसे कौन कहेगा मोक्ष … ?

4000 हेक्टेयर मेले का क्षेत्रफल, 40 किलोमीटर के आयात में मेले का फैलाव, स्नान के लिए 41 घाट , निगरानी के लिए 3000 सीसीटीवी, 1850 हेक्टेयर क्षेत्र पार्किंग के लिए, 651 किलोमीटर लोहे का मार्ग 7 हजार करोड़ की विशाल राशि का‌ व्यव योजना केवल मरने वालों की संख्या अप्राप्त अन्यथा सारा हिसाब – किताब उपलब्ध है।

दिनांक 29 जनवरी के मध्य रात्रि के इस हृदयविदारक मौत के ताण्डव से कुछ घंटे पहले मेला अधिकारी, डिवीजनल कमिश्नर, प्रयागराज विजयविश्वास पंत ने शासकीय हैण्डमाईक से चेतावनी का ऐलान इन शब्दों में करते हैं श्रद्धालुजनो की संख्या अत्यधिक हो गयी है। होल्डिंग एरिया के लोगों से अनुरोध की जाती है, कि कृपया आप लोगों स्नान कर आगे बढ़ते जाएं।

रेल दुर्घटनाओ, केदारनाथ – बद्राधाम के प्राकृतिक आपदाओं, कोरोना महामारी में कालकलवित होने वाले हजारों लोगों की मौतों से सरकारें सबक नहीं लेती !

आजाद भारत का पहला कुंभ तीन फरवरी 1954 को सम्पन्न हुई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इलाहाबाद के तत्कालीन एसएसपी जमुना प्रसाद त्रिपाठी को मेला की सम्पूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी। मेले में हाथी के कारण भगदड़ मची सैकड़ों लोगों की जाने गई। उस घटना के बाद जमुना प्रसाद त्रिपाठी ने कुंभ मेले के लिए विस्तृत रूपरेखा तय की थी। मान्य मापदण्डो के अवहेलना के कारण हर कुंभ मेले में लोगों की जाने जा रही है।

पूर्व आईपीएस जेके तिवारी कुंभमेला अधिकारी रह चुके है। 29 जनवरी की रात मेला स्थल पर थे। वीएन राय पूर्व डीजीपी उत्तरप्रदेश 1989 के कुंभ मेले का मेला अधिकारी रह चुके हैं। दोनों वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की माने तो भगदड़ के लिए वीवीआईपी प्रवास को जिम्मेदार मानते हैं।

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