प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल मेकाहारा में पिछले साढ़े तीन महीने से एसीटी और एबीजी मशीन नहीं है.जिसके कारण मरीजों की ओपन हार्ट सर्जरी नहीं हो पा रही है. मेकाहारा अपने मरीजों को एम्स रेफर कर रहा है, लेकिन वहां जाने के बाद भी उन्हें लंबी वेटिंग के कारण वापस लौटना पड़ रहा है.यही वजह है कि जिन मरीजों के पास पैसे नहीं है,वो इधर उधर भटक रहे हैं. गरीबी और आर्थिक तंगी के कारण कई लोग महंगा इलाज प्राइवेट हॉस्पिटल में नहीं करा सकते. मेकाहारा हॉस्पिटल में ओपन हार्ट सर्जरी के अलावा हार्ट से संबंधित दूसरे सर्जरी हो रहे हैं. हृदय रोग विभाग की माने तो साल 2017 से अब तक 240 ओपन हार्ट सर्जरी की गई है.
प्राइवेट नौकरी वालों के लिए आफत : ओपन हार्ट सर्जरी के लिए भटकते ऐसे ही एक मरीज कोरबा निवासी मदन गोपाल हैं.जो सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं. मदन गोपाल अपने इलाज के लिए रायपुर के मेकाहारा अस्पताल पहुंचे थे. इसके बाद वहां से उन्हें एम्स हॉस्पिटल रायपुर रिफर कर दिया जाता है. एम्स हॉस्पिटल में जाने के बाद मरीज को बताया जाता है कि ओपन हार्ट सर्जरी के लिए आपको 2 से 3 महीने का लंबा इंतजार करना होगा. ऐसे में फिर से मरीज को मेकाहारा भेजा जाता है. लेकिन मेकाहारा में मशीनों के अभाव में ओपन हार्ट सर्जरी नहीं हो पाती.अब मरीज कोरबा में प्राइवेट इलाज के लिए पैसे इकट्ठा कर रहा है.
इलाज के लिए भटकता रहा मरीज : पीड़ित मरीज की पत्नी ने बताया कि सीने में दर्द होने के बाद उन्होंने स्थानीय स्तर पर निजी अस्पताल ले जाया गया था. जहां पर अस्पताल वालों के कहने पर उन्हें रायपुर के मेकाहारा अस्पताल लाया गया. इसके बाद मेकाहारा हॉस्पिटल से उन्हें एम्स अस्पताल रेफर किया गया. मेकाहारा हॉस्पिटल में मरीज की एंजियोग्राफी होने के बाद व्यवस्थाओं की कमी का हवाला देकर उन्हें फिर से एम्स अस्पताल रेफर कर दिया गया. कुल मिलाकर मरीज का ओपन हार्ट सर्जरी नहीं हो पाया. आखिरकार मरीज को वापस अपने घर कोरबा लौटना पड़ा.
क्या काम करती है एबीजी और एसीटी मशीन : एबीजी मशीन से हार्ट से संबंधित मरीज के ब्लड में कितना ऑक्सीजन और कितना कार्बन डाइऑक्साइड है इस बात की जानकारी मिलती है. ब्लड में किन-किन चीजों की आवश्यकता पड़ती है इस बात की जानकारी इस मशीन से पता लगती है.इसी तरह से दूसरी मशीन एसीटी होती है. ये मशीन ओपन हार्ट सर्जरी में काम आती है. ब्लड कितना पतला है और ऑपरेशन के लिए कितना और पतला करना होता है, इस बात के लिए मशीन जरूरी है. मरीज के ब्लड को ज्यादा पतला करते हैं तो पूरे शरीर में ब्लीडिंग हो जाती है या फिर हार्ट में ब्लड क्लॉट हो जाता है. इसलिए इन दोनों ही मशीनों के बिना ओपन हार्ट सर्जरी नामुमकिन है.