पूर्व आईएएस विधायक ओपी चौधरी बेहद गरीब परिवार से तालुक रखते हैं….

पूर्व आईएएस विधायक ओपी चौधरी बेहद गरीब परिवार से तालुक रखते हैं….

रायगढ़ विधानसभा सीट से पूर्व आईएएस ओपी चौधरी ने रिकार्ड बनाते हुए 64 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब हुए हैं। रायगढ़ वह सीट है, जहां से कभी गैर अग्रवाल विधायक नहीं बना। सिवाय शक्राजीत नायक और उनके बेटे के। लिहाजा, जब भाजपा ने ओपी को रायगढ़ से चुनाव मैदान में उतारा तब समझा गया कि वे अग्रवालों के प्रभाव वाली विस सीट पर फंस सकते हैं। सोशल मीडिया में ऐसी खबरें भी चलाई गई कि रायगढ़ में कांटे का टक्कर है और ओपी को इसमें नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। मगर हकीकत कुछ और थी। ओपी को जानने वाले बताते हैं… टिकिट मिलने के साथ ही ओपी को रायगढ़ में तगड़ा रिस्पांस मिलने लगा था।

फिर भी बुजुर्ग मां का दिल जो ठहरा… मां जानती थी कि बेटा ने आईएएस जैसी देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरी छोड़ कर राजनीति को अपना ठिकाना बनाया। मगर पहले चुनाव में ही उसे जोर का धक्का लग गया। सो, ओपी की मां भी बेटे की जीत के लिए प्रचार करने सड़क पर उतर आईं। चलने-फिरने में दिक्कत होने के बाद भी बेटे को जीताने उनका हौसला नहीं डिगा। रायगढ़ की गलियों में घूम-घूमकर वे एक ही आग्रह लोगों से करती… मैंने बेटे को कलेक्टर बनाया…. अब वह राजनीति में आपकी सेवा करने आ गया है… आप उसे विधायक बना दीजिए। बुजुर्ग मां की डोर-टू-डोर अपील का भी काफी असर हुआ। ओपी ने जीत का नया कीर्तिमान गढ दिया है। रायपुर दक्षिण में भापजा के दिग्गज नेता बृजमोहन अग्रवाल 68 हजार वोट से जीते और उनके बाद किसी नेता का सर्वाधिक लीड मिली तो वे हैं ओपी चौघरी। उन्हें 64 हजार से अधिक वोटों से जीत मिली है।

ओपी बेहद गरीब परिवार से तालुक रखते हैं। रायगढ़ जिला के बायांग में हुआ था। ओपी महज 8 साल के थे, तभी पिता का साया सिर से उठ गया। संघर्ष के बीच उन्होंने यूपीएससी क्रेक किया और आईएएस बने। महज 23 साल की उम्र में वे आईएएस बने। 2005 बैच के आईएएस रहे चौधरी ने सर्विस के दौरान अपने कामों की वजह से चर्चा में रहे। 13 साल की सेवा के दौरान वे 3 जिलों दंतेवाड़ा, जाजंगीर-चांपा और रायपुर के कलेक्टर रहे। जनसपंर्क विभाग के आयुक्त की भी जिम्मेदारी संभाली। सेवा के दौरान उन्होंने राज्य में ऐसी कई योजनाओं पर काम किया जिससे उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया गया। धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिला की पहचान एजुकेशन सिटी के रुप में स्थापित की। दंतेवाड़ा का एजुकेशन सिटी और प्रयास विद्यालय चौधरी की ही देन मानी जाती है। प्रयास विद्यालयों में नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चों को उच्च प्रतियोगी परीक्षाओं की पढ़ाई के साथ ही रहने के लिए भी सुविधाएं दी जाती है। एजुकेशन सिटी के लिए 2011-12 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह
ने उन्हें प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

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