रफ़ा सीमा पर रह रहे फ़लस्तीनीयों ने मीडिया को बीते साल की ईद और इस साल की ईद उनके लिए कितनी अलग है.
हारून अल-मेदललका कहना है कि “दर्द, बर्बादी, विस्थापन और लगातार गोलाबारी के बावजूद, हम लोग जीवन से प्यार करने वाले लोग हैं.”
रफ़ा के एक शेल्टर होम में रहने वाले हारून ने बताया कि कुछ फ़लस्तीनी महिलाएं कुकीज़ बना रही हैं. वे उन अनाथ बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश कर रही हैं जिन्होंने इसराइल के हमलों में अपने माता-पिता और घरवालों को खो दिया है.
कोई इस ईद पर दुखी है.”
वह कहते हैं, पहले वे “ईद की बधाई देने के लिए रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर जाते थे और बच्चे खुशियाँ मनाते थे,” लेकिन अब वो लोग “विस्थापन में रह रहे हैं.”
हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि वे मज़बूत रहेंगे, ईद मनाएंगे, रिश्तेदारों को बुलाएंगे और उन लोगों से मिलेंगे जिनके अपने मारे गए हैं.
आज ईद के मौके पर दक्षिणी ग़ज़ा में रहने वाले कई लोग अपने लोगों की कब्रगाह पर जा रहे हैं तो कई लोगों ने नमाज़ अदा दी .
बीबीसी पत्रकार ने मैं दक्षिणी शहर राफा में रह रही 40 साल की एक महिला एल्हाम से बात की.
एल्हम का घर अब मलबे का ढेर बन गया है, केवल एक कमरा है जो बमबारी से बच गया और उसका परिवार अब उसी में रहता है.