😊अगिया बेताल😊
क़मर सिद्दीक़ी(भोपाल मध्य प्रदेश)
सियासी गलिहारा
पहले बड़ी बहन वसुंधरा ने चुनाव लड़ने से इंकार किया,अब छोटी बहन यानी यशोधरा ने भी हाथ ऊपर कर दिये। अध्यक्ष जी ने सफाई दी कि,बीमारी के चलते असमर्थ हैं। शायद ही कोई राज नेता हो जो दो-चार मर्ज़ की दवाएं न लेता हो, यहां तक देखा गया है कि, क़बर में पैर लटकने की स्थिति में,और व्हील चेयर पर सवार हो कर लोग टिकट के लिए मिन्नतें करते देखे गए हैं,और चुनाव जीतने के बाद झपटते हुए विधानसभा के अंदर दाख़िल हुए। कहीं ये वो बीमारी तो नहीं जो गुजरात से आरंभ हो पूरे देश में फैल गई..?,जिसकी चपेट में आने से कई नेता सियासी कोमा में चले गए..?, तो कुछ लोगों ने बीआरएस ले लिया, बुढापे में इज़्ज़त भी तो बचाना ज़रुरी था। इंदौर वाले नेता जी ने तो यहां तक कह डाला कि,मैं तो चुनाव लड़ना ही नहीं चाहता था पर आदेश है,तो मानना ही पड़ेगा।
दूसरा पक्ष इस बात पर अड़ा है कि,इस राष्ट्रवादी दल के लिए ये ख़ानदान रास नहीं आ रहा। राजस्थान में एक बहन अंगद की तरह पैर गाड़े बैठी है,तो यहां भतीजे के आने के बाद पार्टी दो फ़ाड हो गई। संकेत ऐसे मिल रहे हैं कि,”बीमारी” अपनी पीक पर आ चुकी है,और इसके बाद इसका संक्रमण कम होने जा रहा है,क्योंकि कुछ राजनीतिक चिकित्सकों ने मिल कर इसकी वैक्सीन खोज ली है।
उनका बस यही एक काम देखने को रह गया था,सो ये अरमान भी पूरा होने जा रहा है। वीडियो देखा जिसमें वो हंसता हुआ नूरानी चेहरा लिए लोगों से इल्तेजा कर रहे हैं कि, हमारे चैनल को,लाईक, सब्सक्राइब करें ताकि नया नोटिफिकेशन आप तक तुरंत पहुंच सके। क्यों ये B और D वाली टीम क्या अपने फ़र्ज़ ठीक से अंजाम नहीं दे पा रही,या फिर आपको उनके ऊपर एतबार न रहा।
मीर ने कभी कहा था, “दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें, था कल तलक दिमाग़ जिन्हें ताज-ओ-तख़्त का”।
मणिपुर वाले भी आपका चैनल लाइक और सब्सक्राइब करना चाहते हैं,पर वहां तो आपने नेट ही बंद करवा रखा है! लगता है आपको भी अहसास हो चला है कि,अब दिल्ली दूर होने वाली है,इसलिए जो भी शौक बाक़ी रह गए हैं,उन्हें पूरा कर लिया जाए! लोग आपको ऐसे ही विश्व प्रणेता थोड़ी बुलाते हैं,ये तो आपकी बहुआयामी प्रतिभा ही है जो लोगों को ऐसा कहने,और करने पर मजबूर करती है। जिस तरह इतिहास में घटनाओं को ईसा पूर्व,एवं ईसा बाद दो वर्गों में बांटा गया है,उसी तरह आधुनिक राजनीतिक इतिहास में भी दर्ज होने वाला है, आपके पहले,और आपके बाद।
भूले-बिसरे रिश्तेदार
आज बड़ी झील के आसमान पर एयर शो होने जा रहा है। ज़ाहिर बात है कि,राजधानी के अलावा आस-पास के लोग भी आएंगे। जगह सीमित,दर्शक अधिक,लेहाज़ा जिनके मकान झील के आस-पास हैं,उनके भूले-बिसरे,और मुद्दतों पहले बिछड़े रिश्तेदार प्रकट हो गए हैं। लगातार मोबाइल की बेल बजे जा रही है। उत्साह पूर्वक सलाम दुआ के बाद कुछ चुनिंदा बातें, अम्मा की तबियत कैसी है?,भतीजा अब कितना बड़ा हो गया? भाई साहब कब रिटायर होने वाले हैं,या फिर बेटी के लिए कोई अच्छा रिश्ता हो तो बताना,आप लोग ही तो हनारे सच्चे हमदर्द हैं,और आप पर यकीन तो है ही। एक ने तो सीधे कह दिया कल भाभी को सपने में देखा,घबरा कर नींद खुल गई,मैंने सोचा क्या बात है ख़ैरियत मालूम किया जाए। ये घरों के मालिकान भी समझ रहे हैं कि,बरसों पहले मिट्टी में दबे रिश्तों की जड़ें अचानक क्यों फूटने लगी हैं,मगर नैतिकता का भी तो कुछ तकाज़ा होता है। सो बोल दिया कि,आइये न मिलने,कई बरस हो गए आपको देखे। कुछ छटे छटाए भी इसी समाज में पाए जाते हैं,सो एक ने मंशा भांपते ही कह दिया कि आज रात हम लोग बाहर जा रहे हैं,दो दिन बाद आइये। दो दिन बाद आ कर झक मारेंगे क्या? भाड़ में ज़ाय ऐसी नातेदारी जो 3 घंटे भी हमें बर्दाश्त नहीं करना चाहती।