जीत से भाजपा के लिए दक्षिण के राज्यों में संभावनाओं के द्वार खुलेंगे और केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना में उसकी विस्तार योजना को मजबूती मिलेगी। इसके उलट दक्षिण में अपना इकलौता किला खोने की स्थिति में दक्षिण भारत में पार्टी की विस्तार की योजना को धक्का लगेगा।