20 करोड़ भारतीयों में बढ़ा मिला रक्तचाप, दक्षिणी राज्यों की स्थिति और भी गंभीर

20 करोड़ भारतीयों में बढ़ा मिला रक्तचाप, दक्षिणी राज्यों की स्थिति और भी गंभीर

आम धारणा है कि देश में मधुमेह रोगियों की संख्या अधिक है, मगर चौंकाने वाली खबर यह है कि 20 करोड़ से ज्यादा लोगों में रक्तचाप बढ़ा हुआ मिला है। यानी इससे 15.90 फीसदी आबादी पीड़ित है। यह संख्या मधुमेह रोगियों से 50 फीसदी अधिक है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और बंगलूरू स्थित राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान व अनुसंधान केंद्र के ताजा अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। खास बात यह है कि हर राज्य में रक्तचाप की स्थिति अलग है। उत्तर व दक्षिण भारत में सर्वाधिक लोग रक्तचाप से पीड़ित हैं।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, कभी-कभी मापे गए रक्तचाप की व्यापकता विभिन्न जिलों की आबादी में 30.3% से 98.5% तक मिली है। यानी इनके भविष्य में प्री-हाइपरटेंशन से ग्रसित होने की आशंका है। परिषद ने 18 से 54 साल के कुल 7,43,067 युवाओं के चिकित्सा इतिहास का विश्लेषण किया। इनमें 87.6% महिलाएं व 12.4% पुरुष शामिल थे।

परिवार सर्वेक्षण का अनुमान भी यही
आईसीएमआर के अध्ययन के नतीजे 2019 से 2021 के बीच हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुमान के समान बताए जा रहे हैं। उसमें अनुमान था, 15 वर्ष व उससे अधिक उम्र की 21 फीसदी महिला व 24 फीसदी पुरुषों में उच्च रक्तचाप हो सकता है। 39 फीसदी महिलाओं व 49 फीसदी पुरुषों में प्री-हाइपरटेंशन का अंदाज है।
शोधकर्ताओं का कहना है, आयु, लिंग, शिक्षा, धन, जीवनशैली, मोटापा व रक्त शर्करा की जांच में ये निष्कर्ष मिले हैं। यह विविधता भरे देश में न सिर्फ बीमारी के क्षेत्रीय प्रसार, बल्कि रोकथाम के लिए जिला व राज्य स्तर पर साक्ष्य-आधारित जरूरत को भी बयां कर रहे हैं।

दक्षिण में ज्यादा खतरा
केंद्र निदेशक डॉ. प्रशांत माथुर ने बताया, राष्ट्रीय स्तर पर 15.9% आबादी में रक्तचाप स्तर बढ़ा मिला। दक्षिणी राज्यों का आंकड़ा 16.8% है। यह संख्या गंभीर चुनौतियों व तत्काल प्रयासों की जरूरत का संकेत दे रही है।

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