भिवानी का एक व्यस्त बाज़ार. 24 साल के अनिल अपनी छोटी सी दुकान पर चाय बनाकर आसपास की दूसरी दुकान वालों को जा-जाकर पिला रहे हैं.
कुछ समय पहले तक अनिल की ज़िंदगी का बिल्कुल अलग ही मक़सद था. अनिल जी जान से सेना में भर्ती की तैयारी के लिए पसीना बहा रहे थे.
मगर अब उनका वो सपना टूट चुका है और तैयारी छूट चुकी है. साल 2020 में वो अपना सपना पूरा करने के क़रीब पहुँचे थे.
उन्होंने सेना की शारीरिक परीक्षा पास कर ली थी लेकिन भर्ती रद्द हो गई और दो साल बाद सेना में जाने के नियम ही बदल गए.
साल 2022 में केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना का एलान किया, जिसके तहत सेना में अग्निवीरों की भर्ती का प्रस्ताव था. लेकिन अनिल को यह योजना रास नहीं आई और उनके जैसे कई युवाओं ने सेना में जाने के इरादे बदल दिए.
राज्य के विधानसभा चुनावों में अग्निवीर मुद्दे की गूंज हर तरफ़ सुनाई दे रही है. विपक्षी पार्टियां अग्निवीर योजना को लेकर राज्य में 10 साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी पर हमलावर हैं.
90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा के लिए पांच अक्टूबर को वोटिंग होगी और आठ अक्टूबर को नतीजे आएंगे.
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री कहते हैं, “साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में 24 सीटों पर जीत का अंतर पांच हज़ार से कम और पांच सीटों पर ये अंतर एक हज़ार से कम था. ऐसे में अग्निवीर योजना निर्णायक साबित होगी.”
वे कहते हैं, “बीजेपी के ख़िलाफ़ एक सत्ता विरोधी रुझान है और इस माहौल में अग्निवीर योजना आग में घी डालने का काम करेगी.”