बहरों को सुनाने के लिए धमाकें की जरूरत होती है कहकर 8 अप्रैल 1929 को सेन्ट्रल असेम्बली में भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ऐसी जगह बम फेंका था जहां जान – माल का नुक़सान न हो !
आज फिर जब लोग साइमन कमीशन से कुछ सुधारों के टुकड़ों की आशा में आंखें फैलाये है और इन टुकड़ों के लोभ में आपस में झगड़ रहे हैं, विदेशी सरकार सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक ( Public Safety bill ) और औद्योगिक विवाद विधेयक ( Industrial dispute bill ) के रूप में अपने दमन को और भी कड़ा कर लेने का यत्न कर रही है। इसके साथ ही आने वाले अधिवेशन में अखबारों द्वारा राजद्रोह रोकने का कानून जनता पर कसने की धमकी दी जा रही है। सार्वजनिक काम करने वाले मजदूर नेताओं की अंधाधुंध गिरफ्तारियां यह स्पष्ट कर देती हैं कि सरकार किस रवैये पर चल रही है।
राष्ट्रीय दमन और अपमान की इस उत्तेजनापूर्ण परिस्थिति में अपने उत्तरदायित्व की गम्भीरता को महसूस कर हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातन्त्र संघ ने अपनी सेना को यह क़दम उठाने की आज्ञा दी है। इस कार्य का प्रायोजन है कि कानून का यह अपमानजनक प्रहसन समाप्त कर दिया जाये। विदेशी शोषक नौकरशाही जो चाहे करें परन्तु वैधानिकता की नकाब फाड़ देना आवश्यक है।
जनता के प्रतिनिधियों से हमारा आग्रह है कि वे इस पार्लियामेंट के पाखण्ड को छोड़कर अपने – अपने निर्वाचन क्षेत्रों को लौट जायें और जनता को विदेशी दमन और शोषण के विरूद्ध क्रान्ति के लिए तैयार करें। हम विदेशी सरकार को यह बतला देना चाहते हैं कि हम सार्वजनिक सुरक्षा और औद्योगिक विवाद के दमनकारी क़ानूनों और लाला लाजपत राय की हत्या के विरोध में देश की जनता की ओर से यह क़दम उठा रहे हैं।
हम मनुष्य के जीवन को पवित्र समझते हैं। हम ऐसे उज्ज्वल भविष्य में विश्वास रखते हैं जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को पूर्ण शान्ति और स्वतंत्रता का अवसर मिल सके। हम इंसान का ख़ून बहाने की अपनी विवशता पर दुखी हैं। परन्तु क्रान्ति द्वारा सबको समान स्वतन्त्रता देने और मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण को समाप्त कर देने के लिए क्रान्ति में कुछ न कुछ रक्तपात अनिवार्य है।
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद !
ह. बलराज
कमाण्डर इन चीफ़
( उपरोक्त तथ्य साथी सत्यम द्वारा सम्पादित किताब भगतसिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़ से लिया गया है, मैं उन्हे हृदय से आभार प्रकट करता हूं। )
94 साल बाद 13 दिसम्बर 2023 को नये संसद भवन में बेरोजगारी, दमन, अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शनकारी रसायनिक पदार्थ का इस्तेमाल कर धुआं फैलाया !
संसद भवन के भीतर सागर शर्मा, मनोरंजन टी ने और संसद भवन के बाहर ट्रान्सपोर्ट भवन के सामने नीलम, अमोल धनराज ने बेरोजगारी, दमन, अत्याचार, तानशाही बंद करो का नारा लगाते हुए धुआं फैलाया, यह बताने के लिए धुआं तो यहां लेकिन आग मणीपुर में लगी है, बेरोजगारों के दिलों में लगी है, मंहगाई की आग पूरे देश में लगी हुई है। चुनाव जीतने का कत्तई यह मतलब नही होता कि ऑल इज वेल है, इसको मसले को आसानी ऐसे समझना चाहिए – सरकार को प्राप्त होने वाले मत प्रतिशत के खिलाफ उन मतों की प्रतिशतो को यदि साहस और ईमानदारी से गिनोगे तो ज्ञात हो जायेगा सरकार बनाने वाले से अधिक सरकार नही बनाने वालों की तादाद है। संसद – भवन का यह प्रदर्शन असंतोष की पराकाष्ठा है। इस पूरे अभियान में शामिल लोगों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस अपना काम करेगी, न्यायालय के समक्ष प्रकरण पहुंचने पर न्यायालय संविधान के आलोक में दोषयुक्त या दोषमुक्त कर प्रकरण का निराकरण करेगी।