झारखंड के राज्यपाल ने यहाँ की विधानसभा से बहुमत से पारित स्थानीय नीति विधेयक को सरकार को दोबारा लौटा दिया है. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सरकार को इसपर पुनर्विचार का सुझाव दिया है.
इससे पहले राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने अटार्नी जनरल से राय माँगी थी. अटार्नी जनरल ने 15 नवंबर को अपनी राय से राजभवन को अवगत कराया. इसके बाद राज्यपाल ने यह विधेयक सरकार को वापस कर दिया.
हालाँकि, राजभवन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी हिंदी को बताया कि अटार्नी जनरल ने अपनी राय में यह भी लिखा है कि इस विधेयक में स्थानीय व्यक्ति शब्द की परिभाषा लोगों की आकांक्षाओं के अनुकूल है.
“यह स्थानीय परिस्थितियों के लोकाचार और संस्कृति के साथ फिट बैठती है. तर्कसंगत और वस्तुनिष्ठ मानदंडों पर आधारित प्रतीत होती है.”
उन्होंने विधेयक की धारा 6-ए को लेकर कुछ संदेह जारी किया लेकिन अपने पत्र के एक पैरा में इसे क़ानूनी तौर पर बचाने के उपाय भी सुझाए.
पूर्व राज्यपाल रमेश बैस (अब महाराष्ट्र के राज्यपाल) ने भी जनवरी 2023 में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक को सरकार को लौटा दिया था.
तब तत्कालीन राज्यपाल ने कहा था कि इस विधेयक की वैधानिकता की गंभीरतापूर्वक समीक्षा कर लें.
इसके बाद सरकार ने बीते 26 जुलाई को यह विधेयक राज्यपाल को वापस पुनर्विचार के लिए भेज दिया था.
अब नए राज्यपाल द्वारा भी विधेयक वापस करने को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
झारखंड सरकार के मंत्री चंपई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर कहा है कि राज्यपाल ने यह विधेयक बीजेपी के इशारे पर लौटाया है.