मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड बिल पेश कर दिया गया है.
यूसीसी अगर क़ानून बना तो उत्तराखंड में लिव-इन में रहने वाले लोगों को प्रशासन के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा और अगर ऐसा नहीं किया तो छह महीने तक जेल की सज़ा हो सकती है.
यूसीसी के ड्राफ्ट के अनुसार, लिव-इन कपल का रिकॉर्ड पुलिस के पास होगा और अगर पुरुष महिला को ‘बुरे हाल में छोड़’ देता है तो उसे महिला को मेंटेनेंस देना होगा.
बिल में लिव-इन रिलेशनशिप को शादी की तरह देखे जाने पर ज़ोर दिया गया है.अगर किसी कपल ने सर्टिफिकेट प्रशासन को नहीं दिया तो छह महीने की सज़ा का प्रावधान है.
शादियों की तरह ही लिव-इन रिलेशवनशिप को रजिस्टर करना होगा. अगर पार्टनर की उम्र 21 साल से कम होगी तो रजिस्टार को उनके अभिभावकों को इस रिश्ते की जानकारी देनी होगी.
अगर कपल ने लिव-इन रिश्ते की जानकारी एक महीने के भीतर नहीं दी तो तीन महीने की सज़ा या 10 हज़ार के ज़ुर्माने का प्रावधान है.
अगर ग़लत जानकरी दी गई तो 25000 रुपये तक का जुर्माना लगेगा.
इस प्रावधान के कारण व्यक्ति की निजता और स्वतंत्रता के अधिकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं. क़ानून के जानकारों का मानना है कि ये व्यक्ति की निजता का हनन होगा.
ये नियम उन लोगों पर भी लागू होगा जो उत्तराखंड के रहने वाले ना हों लेकिन उत्तराखंड में रह रहे हैं.