लोकसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट के लिए जो कड़े प्रावधान तय किए हैं उसका असर पार्टी के 40 फीसदी सांसदों पर पड़ेगा। पार्टी ने इस बार बेहद कम अंतर से जीत हासिल करने वाले, लगातार तीन चुनाव जीतने वाले, 70 से अधिक उम्र वाले और अति सुरक्षित सीटों पर अपवाद स्वरूप ही वर्तमान सांसदों को उतारने का मन बनाया है। वर्तमान में ऐसे सांसदों की संख्या करीब 130 है।
मिशन 2024 की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी पार्टी ने लगातार तीसरी जीत हासिल करने के लिए टिकट वितरण में सबसे अधिक सावधानी बरतने का फैसला किया है। पार्टी की योजना न्यूनतम अंतर से जीत वाली सीटों और कठिन सीटों पर छत्तीसगढ़ ,मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तर्ज पर दिग्गज चेहरों को उतारने की है। सत्ता बरकरार रखने के लिए पार्टी का खास फोकस उन 344 सीटों पर है, जहां पार्टी को बीते तीन चुनावों में कभी न कभी जीत हासिल हुई है।
बेहद कठिन है टिकट हासिल करने का पैमाना…
पार्टी सूत्रों के मुताबिक बीते चुनाव में पार्टी को 27 सीटों पर महज एक फीसदी के अंतर से तो 48 सीटों पर महज दो फीसदी के अंतर से जीत हासिल हुई थी। इनमें से ज्यादातर सीटों पर पार्टी उम्मीदवार बदलेगी। इसके अलावा वर्तमान में पार्टी के 61 सांसदों की उम्र 70 वर्ष से अधिक है, जबकि लगातार तीन चुनाव जीतने वाले सांसदों की संख्या 20 है। इन सीटों पर भी अपवाद स्वरूप ही सांसदों को फिर से टिकट मिलेगा।
बड़े अंतर की जीत वाली सीटों पर युवा…
बीते चुनाव में पार्टी ने 224 सीटों पर 50 फीसदी से अधिक वोट हासिल किया था। इनमें से 42 सीटें ऐसी थी जहां भाजपा ने अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों को 35 से 52 फीसदी वोट के बड़े अंतर से हराया था। नेतृत्व ने इन सीटों की गणना पार्टी की सबसे सुरक्षित सीटों में की है। योजना ज्यादातर सीटों पर युवा चेहरों को मौका देने की है।
इन सीटों पर खास फोकस…
पार्टी ने टिकट देने और चुनावी रणनीति के लिए बीते तीन चुनावों का विश्लेषण किया है। ऐसी 95 सीटें हैं जहां पार्टी लगातार तीन बार, 173 सीटों पर लगातार दो बार और 76 सीटों पर महज एक बार जीत हासिल की है। देश की 344 सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा कभी न कभी चुनाव जीती है, जबकि 199 सीटें ऐसी है जहां पार्टी कभी नहीं जीती।
हारी हुई सीटों पर रणनीति…
पार्टी ने बीते चुनाव में हारी हुई 133 और बिहार, प. बंगाल, पंजाब में गठबंधन टूटने के बाद अपने हिस्से में आने वाली 31 सीटों को दो समूहों में बांटा है। पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि इनमें से आधी सीटों पर बेहतर रणनीति से बेहतर प्रदर्शन किया जा सकता है। यही कारण है कि पार्टी ने गृह मंत्री अमित शाह समेत चार दर्जन मंत्रियों को दो से तीन सीटों का समूह बना कर जिम्मेदारी दी है।
बंगाल, असम, तेलंगाना से उम्मीदें….
पार्टी को पश्चिम बंगाल, असम, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, ओडिशा से सीटें बढ़ने की उम्मीद है। पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि भले ही विधानसभा चुनाव में तेलंगाना में भाजपा उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाई, मगर लोकसभा चुनाव में पार्टी की कांग्रेस से सीधी लड़ाई का लाभ मिलेगा।
कमजोर सीटों पर पहले उम्मीदवार…
पार्टी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तरह ही कमजोर सीटों और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री सहित कुछ दिग्गजों के उम्मीदवारी की घोषणा फरवरी महीने के पहले सप्ताह में कर देगी। ऐसे मंत्री जो राज्यसभा के सदस्य हैं, वरिष्ठ हैं उन्हें और उनके अलावा राज्यों के दिग्गज चेहरों को इन्हीं कमजोर सीटों पर उम्मीदवार बनाया जाएगा।