सीडीएससीओ यानी सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइज़ेशन ने दवाओं पर एक मासिक रिपोर्ट जारी की है. इसमें 48 दवाएं शामिल हैं.
इस सूची में पेरासिटामोल, पेन-डी, और ग्लेसिमेट एसआर 500 जैसी दवाएं भी हैं, जो सामान्य तौर पर इस्तेमाल की जाती हैं. ये दवाएं आवश्यक गुणवत्ता पैमाने पर खरी नहीं उतरी हैं.
सीडीएससीओ हर महीने तय मानकों से नीचे मिलने वाली दवाओं की एक सूची जारी करता है. अगस्त महीने की सूची में 48 दवाएं शामिल हैं, जिनमें वो दवाएं भी हैं, जो आमलोग ज़्यादातर इस्तेमाल करते हैं.
पेरासिटामोल आईपी 500 एमजी का उत्पादन कर्नाटक एंटीबायोटिक्स और फॉर्मास्यूटिकल्स और पेन-डी का उत्पादन अलकेम हेल्थ साइंस करती है.
वहीं, मॉन्टेयर एलसी किड का उत्पादन प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर प्रायवेट लिमिटेड और ग्लेसिमेट एसआर 500 का उत्पादन स्कॉट-एडिल फार्मेसिया करती है.
असली और नकली दवा में फ़र्क कैसे करें?
दवाओं के नकली होने की ख़बर से कुछ लोग चिंतित हैं.
चेन्नई में रहने वाले 58 वर्षीय संकरन कहते हैं, ‘‘मैं 10 साल से डायबिटीज़ की दवा ले रहा हूं. मुझे इन दवाओं को नियमित तौर पर लेना होता है. मुझे इसके विकल्प के लिए और कहां जाना चाहिए? हमें यह कैसे पता लगेगा कि कौन सी दवा गुणवत्ता के पैमाने पर खरी नहीं उतरी है? कोई जनता को इस बारे में कुछ क्यों नहीं बताता है? हमें अधूरी जानकारी और रिपोर्ट्स के साथ अंधेरे में रखा जाता है.’’
चेन्नई के अरुमबक्कम में रहने वाली 43 वर्षीय उषारानी पूछती हैं कि अगर डॉक्टरों की लिखी जा रही दवाएं भी सुरक्षित नहीं हैं, तो उन जैसे लोग क्या करें?
डॉक्टरों का कहना है कि तय मानकों पर खरी न उतर पाने वाली दवाओं का नियमित सेवन सेहत पर बुरा असर कर सकता है.
चेन्नई के डॉक्टर चंद्रशेखर ने सही दवा की पहचान के लिए ये बातें बताईं –
अगर दवाओं में उपयुक्त मात्रा में इनग्रेडिएंट यानी अंश ना हों तो दवा का असर मनचाहा नहीं होता.
तय मानकों पर ख़रा न उतर पाने वाली दवाओं का सेवन लंबे समय तक करने से शरीर के अंगों को नुक़सान हो सकता है.
अगर कोई डायबिटिज़ या हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के लिए दवा ले रहा है तो यह ज़रूरी है कि वो डॉक्टर से समय-समय पर जाँच करवाए.
मेडिकल स्टोर से दवा खरीदते वक्त आईएसओ (इंटरनेशनल ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर स्टैंडर्डाइज़ेशन) या डब्ल्यूएचओ-जीएमपी (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस) का सर्टिफ़िकेट ज़रूर देखें.
जिन दवाओं की एक्सपाइरी डेट नज़दीक आ चुकी है, उन्हें ख़रीदने से बचें. अगर दवाओं को सही ढंग से स्टोर नहीं किया गया हो तो वो बेअसर हो सकती हैं.
इंजेक्शन और इंसुलिन जैसी दवाएं ख़रीदने से पहले ये पता कर लें कि जहां से खरीद रहे हैं वहाँ रेफ्रिज़रेशन की सुविधा है कि नहीं.