सीटू स्थापना दिवस पर हुई सभा,श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ व्यापक श्रमिक वर्ग की एकता का आव्हान

सीटू स्थापना दिवस पर हुई सभा,श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ व्यापक श्रमिक वर्ग की एकता का आव्हान

भाजपा की मोदी सरकार की कारपोरेट परस्त नीतियों ने मजदूर वर्ग के जीवन को तबाह किया है जिसके चलते आज देश का श्रमिक वर्ग अमानवीय शोषण का शिकार है, इस सरकार ने श्रमिक वर्ग के प्रतिरोध को कमजोर करने घृणित सांप्रदायिक विभाजन की नीति का जहर बोया है देश के श्रमिक वर्ग को इसे पराजित करने व्यापक एकता का निर्माण करना होगा , सीटू के 54 वें स्थापना दिवस पर आयोजित परिचर्चा में मोदी सरकार की मजदूर एवं जन विरोधी नीतियो के खिलाफ व्यापक श्रमिक वर्ग की एकता का आव्हान करते हुए सीटू के राज्य सचिव काम धर्मराज।महापात्र ने उक्त बातें कही। मध्य प्रदेश – छत्तीसगढ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव यूनियन के कार्यालय में 30 मई को सीटू के स्थापना दिवस पर इस परिचर्चा का राज्य कार्यालय नूरानी चौक में आयोजन किया गया था । परिचर्चा को संबोधित करते हुए कामरेड महापात्र ने कहा कि देश के ट्रेड यूनियन आंदोलन में 1970 को सीटू के निर्माण के बाद श्रमिको के शोषण के खिलाफ संघर्ष में गुणात्मक बदलाब आया और आज सीटू की पहल से देश के समस्त श्रमिक संगठन के मध्य एकता का निर्माण हुआ जिसके नेतृत्व में देश के श्रमिक वर्ग ने निजीकरण और उदारीकरण की नीतियों के विरुद्ध 22 हड़ताल संगठित की । वक्ताओं ने मोदी सरकार की नोटबंदी और उसके बाद जी एस टी फिर नेशनल मोनिटाइजेशन पाइप लाइन के नाम पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, बीमा, कोयला, रक्षा, इस्पात, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ जैसे बुनियादी क्षेत्रों को भी निजी पूंजीपतियों के हवाले करने का तीव्र विरोध करते हुए श्रम कानूनों को बदलकर चार श्रम संहिता बनाने के कदम को मजदूरों को गुलाम बनाने वाला करार दिया और इसे वापस लेने की मांग की । उन्होंने कृषि कानून के विरुद्ध देश के किसान आंदोलन की सराहना करते हुए खेती और देश के कल कारखानों को बचाने मजदूर किसान के मजबूत साझा संघर्ष पर जोर दिया । उन्होंने मजदूर के वेतन, मंहगाई, रोजगार की गारंटी और आजीविका के सवाल पर संघर्ष को कमजोर करने भाजपा और उसकी सरकार द्वारा साम्रदायिक भावना का उपयोग करने का आरोप लगाते हुए श्रमिक वर्ग को इन षड्यंत्रों को समझने और वर्गीय शोषण के खिलाफ मजदूर वर्ग की वर्गीय एकता को मजबूत करने का आव्हान किया । उन्होंने कहा कि शोषण पर आधारित इस व्यवस्था और उसके वाहक भाजपा जैसी राजनीतिक ताकत को पराजित किए बिना श्रमिक वर्ग की मुक्ति संभव नहीं है ।
माकपा नेता प्रदीप गभने, जनवादी नौजवान सभा के साजिद रजा, सी जी एस पी यू के सचिव प्रदीप मिश्रा ने परिचर्चा में सीटू के विस्तार के साथ ही मोदी सरकार की साम्प्रदायिक और जनविरोधी आर्थिक नीति के खिलाफ श्रमिक संगठनों की एकता और विस्तार करने पर जोर दिया । श्रमिक नेता काम विभाष पैंटुंडी, उबैद खान, शैलेश पटेल, वैभव शर्मा, के के साहू, विष्णु जांघेल, अजय कन्नोज, मारुति डोंगरे, मयंक लसेल सहित अनेक साथी इसमें उपस्थित थे । उल्लेखनीय है कि देश के श्रमिक आंदोलन में सुधारवादी रुख के खिलाफ लड़ते हुए ही 1970 में सीटू का जन्म हुआ था ।

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