मणिपुर हिंसा पर हंगामे की गवाह बने संसद के मानसून सत्र में अब सबकी निगाहें सोमवार से शुरू हो रहे अंतिम हफ्ते की कार्यवाही पर हैं। अंतिम सप्ताह में ही जहां लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी है, वहीं राज्यसभा में सरकार के समक्ष दिल्ली सेवा विधेयक पारित कराने की चुनौती है।
डाटा संरक्षण विधेयक सहित करीब एक दर्जन विधेयक पारित कराने के लिए सरकार के पास अब महज पांच कार्यदिवस बचे हैं। खासतौर से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सरकार और विपक्ष रणनीति बनाने में जुटे हैं। अधिक से अधिक सदस्यों का समर्थन और भाजपा के साथ-साथ सहयोगी राजग के सभी दलों के सांसदों के अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संसद के दोनों सदनों के मुख्य सचेतकों के साथ मैराथन बैठक की है। इस बैठक में नड्डा ने मुख्य सचेतकों को हर हाल में सभी सांसदों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। नड्डा ने कहा है कि जो सांसद अस्वस्थ हैं उनकी भी उपस्थिति दर्ज कराने की पूरी तैयारी की जाए। सांसदों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही ओर से व्हिप जारी किए गए हैं।
समय कम काम ज्यादा
मानसून सत्र में अब महज पांच कार्यदिवस ही शेष बचे हैं। सरकार के समक्ष उच्च सदन में न सिर्फ दिल्ली सेवा विधेयक पारित कराने की चुनौती है, बल्कि करीब एक दर्जन विधेयक ऐसे हैं जो लोकसभा में या तो पारित हो चुके हैं या इन्हें पेश किया जा चुका है। इनमें डाटा संरक्षण विधेयक के साथ भारतीय प्रबंध संस्थान, अंतर सेवा संगठन कमान, नियंत्रण, अनुशासन जैसे करीब दस विधेयक हैं, जो लोकसभा में पारित होने के बाद उच्च सदन में पारित होने का इंतजार कर रहे हैं।
हम ‘मध्यम मार्ग’ समाधान को लेकर बहुत गंभीर, लेकिन मोदी सरकार नहीं
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर राज्यसभा में गतिरोध का समाधान ढूंढने में गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, विपक्षी गुट ने मध्यम मार्ग समाधान की पेशकश की थी। सरकार ने संकेत दिया कि चर्चा 11 अगस्त को ही हो सकती है, लेकिन लगता है सरकार गंभीर नहीं। तृणमूल नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने इसे टैग कर ट्वीट किया, टीम इंडिया ने संसद के पटल पर यह पेशकश की। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अभी भी मणिपुर पर किसी भी चर्चा से दूर हैं।
कांग्रेस में उत्साह
मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस उत्साहित है। उसकी रणनीति अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा में राहुल को आगे करने की है। पार्टी 8 अगस्त से पहले राहुल की सदस्यता बहाल करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।