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इंदिरा सागर बांध के उलट में हरसूद नाम का एक जीता जागता शहर डूब गया था। इसके साथ ही आसपास के ढाई सौ गांव भी डूब गए थे। मध्यप्रदेश का यह शहर एशिया का सबसे बड़ा विस्थापन का मिटता – चीखता उदाहरण है। जब हम लोग अगस्त 2004 को खण्डवा गये थे, तो खण्डहर – मलबा में बदले हरसूद को देखने गये तो कई दिल दहला देने वाले नजारे देखने को मिले। नर्मदा नदी के किनारे अपना अस्तित्व खो चुके हरसूद के मलबे में नवभारत का साईन बोर्ड दिख गया, मर चुके अस्पताल के पास गिरे दीवार के एक हिस्से में लिखा था ऊपर जाने का रास्ता, ऐसे अनेक विरोधाभासी नजारे थे। उजड़े लोगों की एक आबादी ज़िन्दगी के जरूरतों और सहुलियतो से वंचित विशाल नर्मदा नदी के किनारे कतारबद्ध महिलाएं पानी टैंकर से पानी ले रही थी।
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हरसूद के जिला मुख्यालय खण्डवा के थे, हमारे पसंदीदा गायक किशोर कुमार हरसूद की बर्बादी पर किशोर दा का वह कालजयी गीत कानों में गुंजने लगे कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन ….
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