लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में

“शेख अंसार की कलम से”

हम आपको मनमाने तरीके से घर नहीं गिराने देंगे। जो अफसर राजनीतिक दबाव में घर गिराने के लिए उतावले होते हैं, ऐसे उद्दण्ड अफसरों की पहचान होगी और उन्हें सजा देंगे -जस्टिस बीआर गंवई

सुप्रीम कोर्ट के डीविजन बेंच के जस्टिस बीआर गंवई, जस्टिस केवी विश्वनाथन ने बुलडोजर कार्यवाही को अनुचित असंवैधानिक बताया है।

सरकार और सरकारी अधिकारियों को जज नही बनने देंगे। सत्ता के नशे में मदमस्त मगरूर नेताओं ने विध्वंस का प्रतीक बुलडोजर को इंसाफ का जरिया बना डाला था। सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशद्वय जस्टिस बीआर गंवई एवं जस्टिस केवी विश्वनाथन की डीविजन बेंच ने बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ लगे याचिका की सुनवाई पूर्ण कर 1 अक्टूबर 2024 को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया था। बुधवार 13 नवम्बर 2024 फैसला सुनाते हुए बुलडोजर कार्यवाही से मकान दुकान एवं अन्य आरोपी के सम्बंधित निर्माणों ढहाने – रौंदने वाले सरकारो को ही सबक सीखा दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की डीविजन बेंच ने अपने आदेश में साफ शब्दों कहा है, कि कोई आरोपी या दोषी क्यों न हो बिना विधिमान्य प्रक्रिया का अनुपालन किए बिना मकान – दुकान नहीं गिराया जा सकता। आरोपी पर आरोपित मुकदमा का फैसला आने से पहले कोई अधिकारी बुलडोजर के माध्यम से मकान – दुकान गिराने की कार्यवाही करता है, तो‌ उसकी पहचान कर उन्हें सज़ा देने के लिए पूरी प्रणाली रहेगी।

दिनांक 17 मई 2024 को अयोध्या के पास की शहर बाराबंकी में हमारे प्रधानमंत्री ने कहा था, कि बुलडोजर कहां चलाना है, कांग्रेस, तो सपा योगी जी से ट्यूशन ले ले।

दिनांक 17 सितम्बर 2024 को मोदी सरकार ने कहा था, कि संवैधानिक संस्थाओं के हाथ इस तरह नहीं बांधे जा सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में 15 बिन्दुओं का एक गाईडलाइन भी जारी किया है। स्थानाभाव के कारण हम यहां केवल 5 महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख कर रहे हैं –

1 यदि बुलडोजर एक्शन का आर्डर दिया जाता है, तो उसके खिलाफ अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए। रातों – रात घर गिरा दिए जाने से महिलाएं और बच्चे सड़कों पर आ जाते हैं। यह बंद होना चाहिए।

2 कारण बताओ नोटिस के बिना कोई भी निर्माण नहीं गिराया जायेगा।

3 नोटिस भेजे जाने के बाद कम से कम 15 दिनों का समय देना होगा। पंजीकृत डाक द्वारा ही मकान मालिक को नोटिस भेजा जायेगा। नोटिस को मकान – दुकान की दीवार पर चिपकाया जाना चाहिए।

4 नोटिस में स्पष्ट तरीके से बताना होगा कि घर क्यों गिराया जायेगा एवं इसकी अपील सुनवाई किसके समक्ष होगी। एक डिजिटल पोर्टल होगा, जिसमें नोटिस सहित पूरी जानकारी उपलब्ध रहेगी।

5 कलेक्टर एवं एसपी के जानकारी के बिना किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता। कलेक्टर और एसपी ऐसे समस्त कार्रवाई पर सतत निगरानी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे।

न्यायधीशों इस फैसले को लिखने में जहां तल्ख़ लफ़्ज़ों लहजे का इस्तेमाल किया वही बेहद संवेदना के साथ काव्यात्मक शैली भी अपनाया।

महसूस करिए उनके भाव –

अपना घर हो अपना आंगन हो
इस ख्वाब में हर कोई जीता है
इंसान की दिल की ये चाहत है
कि एक घर का सपना कभी न टुटे

सुप्रीम कोर्ट ने अपने संवैधानिक हथौड़े से
सरकार के बुलडोजर कार्यवाही को कुचला !

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