प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्वकर्मा जयंती पर आज नई दिल्ली के द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर पर ‘पीएम विश्वकर्मा’ नाम से एक नई योजना का शुभारंभ करेंगे। 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने एलान किया था कि वह सुनार, सुतार, राजमिस्त्री, बाल काटने वाले, औजारों-हाथों से काम करने वाले वर्ग को नई ताकत देने वाले हैं। इसके लिए वह विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा योजना शुरू करेंगे।
इससे पहले बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री ने भी इस योजना का उल्लेख किया था। अब इस योजना की आधिकारिक शुरुआत होने जा रही है। सवाल उठता है कि आखिर क्या है पीएम विश्वकर्मा? इस योजना का उद्देश्य क्या है? इससे किस वर्ग को लाभ मिलेगा? क्या विश्वकर्मा योजना के जरिए अति पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश होगी? इसका 2024 के चुनाव पर क्या असर होगा? आइये जानते हैं…
क्या है पीएम विश्वकर्मा?
पीएम विश्वकर्मा पारंपरिक कौशल वाले लोगों का समर्थन करने वाली योजना है। इस योजना के तहत उदार शर्तों पर तीन लाख रुपये तक का लोन दिया जाएगा। इस योजना के शुरू होने से देशभर के करीब 30 लाख विश्वकर्मा परिवारों को फायदा मिल सकता है।
इसके जरिए पारंपरिक शिल्प में लगे लोगों को सहायता प्रदान करने पर ध्यान केन्द्रित होगा। सरकार की मानें तो यह फोकस न केवल कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करने बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और विविध विरासत को जीवित और समृद्ध बनाए रखने की इच्छा से भी प्रेरित है।
योजना का लाभ कैसे मिलेगा?
पीएम विश्वकर्मा को 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा। इस योजना के तहत, बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से विश्वकर्माओं का निशुल्क पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान-पत्र, मूलभूत और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, पांच प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर एक लाख रुपये (पहली किश्त) और दो लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक मुक्त ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी।
इस योजना का उद्देश्य क्या है?
इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले विश्वकर्माओं द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित प्रथा को सुदृढ़ बनाना और पोषित करना है। पीएम विश्वकर्मा का मुख्य फोकस कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत हों।