प्रयागराज कुम्भ: भगदड़ से दहशतज़दा श्रद्धालु के लिए सभी मज़हब के इबादतगाहों को पनाहगाह में तब्दील कर दिया

प्रयागराज कुम्भ: भगदड़ से दहशतज़दा श्रद्धालु के लिए सभी मज़हब के इबादतगाहों को पनाहगाह में तब्दील कर दिया

गंगा – जमुनी तहजीब की वर्षो पुरानी विरासत को सियासत के तीन – तिकड़म ने कहां डिगा पाया। एकता अखण्डता और भाईचारा के अटूट रिश्ते ने हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, के मोहब्बत भरे जज्बे ने भगदड़ से दहशतज़दा श्रद्धालु के लिए अपने गिरजाघरों, गुरूद्वारे, मस्जिदों मदरसों, मजारों जैसे इबादतगाहों को पनाहगाह में तब्दील कर दिया। कौमी एकता की तिमारदारी – सेवा सुश्रुषा में आम भारतीयों को खुशहाल भारत की तस्वीर दिखने लगी है।

झूंसी जमींदार के वंशज अनस भाई जो अनवर मार्केट के मालिक हैं, ने सारा अनवर मार्केट श्रद्धालुओ के शरण के लिए खोल दिया। यादगारें हुसैनी इन्टर कॉलेज इलाहाबाद को खोल दिया गया। मजीदिया इस्लामिया वलीउल्लाह मस्जिद के ईमामों ने लंगर खिलाना शुरू कर दिया। नूरूल्लाह रोड़ में यंग मुस्लिम कमेटी के नवजवानों ने चाय – नाश्ता ( स्वाल्पाहार ) का शानदार इंतजाम किया। क्रिश्चियन कम्युनिटी ने नजारेथ अस्पताल के सामने खाने पीने के साथ विशाल आरामगाह का प्रबंध कर किया। सिखों के लंगरों से जब भुखे पेट भर गये तब श्रद्धालुओं के चेहरे में तृप्ति के भाव साफ़ दिखाई देने लगे। खुसरोबाग कम्पाउन्ड के पास एडवोकेट चार्ली प्रकाश ने नौजवान लड़कों को लेकर लंगर का एहतमाम किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट नामी वकील वर्चस्व बाजपेई ने श्रद्धालुओं के खाने रहने का बेहतरीन इन्तजाम किया। इन्टर कॉलेज इलाहाबाद के प्रबंधक राजेश अग्रवाल ने एक एरिया में शामियाना, कनात लगाकर खाने रहने का प्रबंध कर दिया।

करोड़ों श्रद्धालुओं को अरबों का विज्ञापन छपवाकर आमंत्रण करते हैं। भगदड़ हो जाने पर शवों की संख्या घोषित नहीं करते।

तमाम चैनलों के जरिए भगदड़ का जो नज़ारा नज़र के सामने पेश हो रहा है, उससे रूह कांप जाती है। जिन बेकसूरो का खून गंगा की अविरल धारा में बह गया, बहती धारा में खून की लालिमा ने समूची दुनिया को अपने बहने का शबब बता रही हैं।

सरकार में एक से बढ़कर एक चाणक्य है, जो गिनती, गणित और सत्तापक्ष के लिए गणितबाजी करना जानते हैं। ये गणितज्ञ 4000‌ हेक्टेयर मेला क्षेत्र, 40 किलोमीटर मेले का फैलाव क्षेत्र, 41 घाट, 30 पूल, 3000 सीसीटीवी, 7 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च करने का हिसाब वाला गणित तो जानते हैं, लेकिन शवों को गिनने का जहमत नही उठाते हैं, न शवों के परिजनों को गिनने देते हैं।

गंगा तेरा पानी अमृत, झर झर बहता जाए,
गंगा तेरा पानी अमृत घर-घर बहता जाए

कितने सूरज उभरे डूबे, गंगा तेरे द्वारे,
युगों युगों की कथा सुनाएँ, तेरे बहते धारे,
तुझे छोड़ भारत का, इतिहास लिखा ना जाए,

खेतों खेतों तुझसे जागी, धरती पर हरियाली,
फसलें तेरा राग अलापें, झूमे बाली बाली,
तेरा पानी पीकर मिट्टी, सोने में ढल जाए,

Chhattisgarh Special