देश में एकीकृत चिकित्सा मॉडल को विस्तार देते हुए मोदी सरकार ने देश के सभी एम्स में आईसीएमआर-आयुष शोध केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत आगामी समय में कैंसर, श्वसन संक्रमण, लिवर सिरोसिस सहित कुल 30 तरह की बीमारियों को लेकर वैज्ञानिकों की टीमें कार्य करेंगी। इनका एलोपैथी के साथ आयुष इलाज भी तलाशा जाएगा।
कुछ समय पहले देश में एकीकृत चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और केंद्रीय आयुष मंत्रालय के बीच एक करार हुआ। इसे लेकर हुईं बैठकों में तय हुआ है कि शैक्षणिक सत्र 2024 से खुलने वाले नए मेडिकल कॉलेजों में एकीकृत चिकित्सा का एक अलग से विभाग होगा। साथ ही सभी एम्स में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान केंद्र की स्थापना की जाएगी। सभी कागजी कार्यवाही के बाद आईसीएमआर ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इन बीमारियों पर होगा शोध
एम्स में एलोपैथी और आयुष चिकित्सा के जरिये जिन बीमारियों की एकीकृत चिकित्सा सेवाओं की खोज करनी है उनमें रोगाणुरोधी प्रतिरोध, कैंसर, एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी, रूमेटाइड गठिया, टीबी, मधुमेह, बचपन का कुपोषण (अल्पपोषण, स्टंटिंग, कमजोरी, मोटापा), सोरियाटिक गठिया, वेक्टर जनित रोग, क्रोनिक लीवर, मातृ स्वास्थ्य (प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर प्रबंधन व देखभाल), मल्टीपल स्क्लेरोसिस, क्रोनिक श्वसन रोग, तंत्रिका संबंधी विकार और ऑटोइम्यून विकार शामिल हैं।
सभी एम्स को लिखे पत्र में आईसीएमआर ने कहा है कि देश को एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था की जरूरत है जो भविष्य को लेकर स्वास्थ्य नीतियों का मार्गदर्शन कर सके। इसका एक उद्देश्य मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ-साथ स्वदेशी चिकित्सा के ज्ञान की समृद्ध विरासत को बरकरार रखना भी है।
200 करोड़ रुपये की मिली अनुमति
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार से करीब 200 करोड़ रुपये की अनुमति मिली है। प्रत्येक एम्स को केंद्र की स्थापना के लिए छह से 10 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे। जिन 30 बीमारियों की सूची तैयार की है, इनमें से अलग-अलग टीमें शोध करेंगी। इस सूची में बीमारियों की संख्या बढ़ सकती है। सरकार ने इस पूरे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी आईसीएमआर के साथ आयुष मंत्रालय के केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद को सौंपी है।