आरबीआई ने जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों को लेकर नियमों में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव किया है। इसमें जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों (डिफॉल्टर) की परिभाषा भी तय की गई है। इस श्रेणी में उन लोगों को रखा गया है, जिन पर 25 लाख रुपये या उससे अधिक का कर्ज है और भुगतान क्षमता होने के बावजूद उन्होंने उसे लौटाने से इन्कार कर दिया।
गारंटरों के खिलाफ भी होगी कार्रवाई
प्रस्ताव में कहा गया है कि जरूरत पड़ने पर कर्जदाता बकाया राशि की तेजी से वसूली के लिए उधार लेने/गारंटी देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेगा। जानबूझकर चूक करने वाले कर्ज सुविधा के पुनर्गठन के पात्र नहीं होंगे। वे किसी अन्य कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल नहीं हो सकते हैं। कर्जदाता किसी खाते को एनपीए के रूप में रखे जाने के 6 महीने में डिफॉल्टरों से संबंधित पहलुओं की समीक्षा करेगा।