जीवन संगिनी आपके जीवन में कितना बदलाव ला सकती है, इसकी जीती जागती मिसाल बालोद के गुरेदा गांव में देखने को मिली. यहां पत्नी ने अपने पति को ऊंची उड़ान के लिए प्रेरित किया. पत्नी के दिए हौसले के बाद पति ने फूलों की खेती में हाथ आजमाया और आज सफल किसान बन चुका हैं.
नौकरी छूटी तो पत्नी ने दिया हौसला: बालोद जिले के एक छोटे से गांव गुरेदा के देवेंद्र सिन्हा अपने जीवन में कई सारे काम कर चुके हैं. लेकिन स्थिति तब बिगड़ी जब कोरोना संक्रमण काल में उनकी नौकरी चली गई. बेरोजगार होने के बाद देवेंद्र को उसकी पत्नी दीप्ति सिन्हा ने हौसला दिया. पत्नी दीप्ति को गेंदे की खेती करने का थोड़ा बहुत अनुभव अपने पिता से मिला था.जिसके बाद उन्होंने अपने पति को फूलों की खेती करने के लिए प्रेरित किया. बीते दो वर्षों में सिन्हा परिवार फूलों की खेती करके लाखों रुपए की इनकम कर रहा हैं.
मिट्टी को समझना कठिन : देवेंद्र की माने तो गुलाब की खेती के लिए काली मिट्टी उपयुक्त नहीं रहती. इसमें लाल मिट्टी की आवश्यकता होती है. लाल मिट्टी का चयन तो किया लेकिन इसके लिए मुरुम को बेहतर समझा.क्योंकि मुरुम पानी कम सोखता है.जिससे पौधे सड़ते नहीं हैं.लिहाजा लाल मिट्टी की जगह मुरुम का इस्तेमाल किया.जिसमें सफलता मिली.पहले इस बात का डर सता रहा था कि लाल मिट्टी की व्यवस्था कहां से करुंगा.फिर विकल्प के तौर पर मुरुम का इस्तेमाल किया और ये सफल रहा.