हर समस्या के लिए रामबाण नहीं हो सकता सुप्रीम कोर्ट

हर समस्या के लिए रामबाण नहीं हो सकता सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने नर्सरी दाखिले में बच्चों की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध से जुड़ी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने 2015 के एक विधेयक को उपराज्यपाल को मंजूरी देने या लौटाने का निर्देश देने से इन्कार कर दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को शीर्ष अदालत चुनौती दी गई थी।

स्क्रीनिंग में बच्चों या उनके अभिभावकों से साक्षात्कार लिया जाता है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि अदालत कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकती। पीठ ने कहा कहा, क्या कानून बनाने के लिए कोई आदेश हो सकता है? क्या हम सरकार को विधेयक पेश करने का निर्देश दे सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट हर चीज के लिए रामबाण नहीं हो सकता है।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने गत तीन जुलाई को गैरसरकारी संस्था सोशल ज्यूरिस्ट की तरफ से दायर एक जनहित याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि वह विधायी प्रक्रिया में हस्तक्षेप और उपराज्यपाल को दिल्ली स्कूल शिक्षा (संशोधन) विधेयक, 2015 को मंजूरी देने या उसे लौटाने का निर्देश नहीं दे सकता। इस आदेश के खिलाफ सोशल ज्यूरिस्ट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

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