इसरो 28 जनवरी को रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLB) दोबारा इस्तेमाल होने लायक रॉकेट का परीक्षण करेगा। परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले के एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में होगा। इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ ने बताया कि RLB को हेलीकॉप्टर से 5 KM ऊंचाई पर ले जाकर उड़ते हुए छोड़ा जाएगा। दो पंखों के साथ हवाई जहाज की शक्ल वाला का यह रॉकेट हवा में तैरता हुआ रनवे को नेवीगेट करेगा और ऑटो-मोड में रनवे पर किसी हवाई जहाज की तरह लैंड हो जाएगा।
सोमनाथ ने कहा कि RLB-ओर मिशन के पहले सफल परीक्षण जरूरी है। RLB-ओर मिशन के जरिए सैटेलाइट अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने के बाद रॉकेट वापस आएगा और दोबारा इस्तेमाल हो सकेगा। इससे सैटेलाइट लांचिंग की लागत 40% तक कम होगी। साथ ही अंतरिक्ष में कबाड़ नहीं बढ़ेगा।
अभी इसरो PSLV या GSLV से लॉन्चिंग करता है, लेकिन रॉकेट अंतरिक्ष में रह जाते हैं। RLB को पहले अंतरिक्ष में जाकर समुद्र में लौटने के हिसाब से डिजाइन किया गया था। अब लैंडिंग गियर, पैराशूट, रडार एल्टीमीटर जैसे डिवाइस लगाए हैं ताकि रनवे पर लैंड हो सके।