जिस प्रदेश में महिला, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री हो और उस राज्य की 31 वर्षीय ट्रेनी डाॅक्टर मौमिता देबनाथ के कातिलों को वहां की पुलिस गिरफ्तार न कर सकें तो इसका सीधा मतलब होता है, सरकार अपराधियों और अस्पताल प्रशासन को बचा रही है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उस मासूम के कई अंगों में गंभीर चोटो के निशान हैं। चेहरे और हाथों के अलावा दोनों टांगें फटी हुई थी। मकतूल डॉक्टर के प्राईवेट पार्ट में लगभग 151 मिलीग्राम सीमेन पाये गये है। जिससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है, कि उस मासूम के साथ गैंगरेप हुआ है। ममता की पुलिस अकेले संजय राय को पकड़कर खुद विक्टिम कार्ड खेलते हुए सड़क पर उतर कर प्रहसन कर रही है।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल बंग – भंग के पूर्व काॅरनिकल अस्पताल के नाम से जाना जाता था। यह अस्पताल कोलकाता के श्यामबाजार में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 1886 में हुई थी, शुरुआत में यह अस्पताल गैर सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल थी।
राधागोविंद कर शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में घटना के बाद ओपीडी पूरी तरह प्रभावित है।जरूरतमंद इलाज से वंचित हो रहे हैं। जो भर्ती मरीज हैं वह जीवन की प्रत्याशा में बेइलाज मरणासन्न हो रहें। इस विषम परिस्थितियों का समाधान क्या ममता सरकार के पास है ?
ममता सरकार में ममत्व नही संवेदनहीन निर्ममता है, यह सरकार अस्पताल में कार्यदशा, सुरक्षा प्रबंध, नियमानुसार डाक्टर्स नर्सेस एवं अन्य स्टाफ के लिए भोजन एवं विश्रामालय आदि का प्रबंध यदि समुचित तरीके से कर देती तो इस जघन्य अपराध को शायद टाला जा सकता था।
भर्ती मरीज जीने का अधिकार मांग रहे हैं,
डाक्टर्स जीने का अधिकार मांग रहे हैं।