पीएससी भर्ती घोटाला मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार उद्योगपति श्रवण गोयल की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए कठोर टिप्पणी की है।
– हाईकोर्ट में जस्टिस विभु दत्ता गुरु की कोर्ट में पीएससी भर्ती घोटाला मामले में आरोपी श्रवण गोयल की याचिका पर सुनवाई हुई। बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित अग्रवाल के साथ अंकित जिंदल और मेहल जेठानी ने तर्क रखे, जबकि सीबीआई की ओर से पी गोपाकुमार ने तर्क दिए। बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि, अभियुक्त निर्दोष है और प्रकरण में अभियुक्त को गलत तरीके से फँसाया गया है। जबकि सीबीआई की ओर से जमानत का विरोध करते हुए अदालत से कहा – “आरोपी ने सीएसआर समिति के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के साथ साथ निदेशक मंडल को भी गुमराह किया, और एनजीओ को धोखाधड़ी से वित्तीय सहायता प्रदान करने की सिफारिश की।” सीबीआई ने कोर्ट से कहा -“जीवीएस को सीएसआर मद के तहत बजरंग इस्पात द्वारा प्रदान की गई कथित वित्तीय सहायता स्वीकार नहीं की जा सकती है, क्योंकि कंपनी अधिनियम की अनुसूची सात की धारा 135 के अनुसार निर्माण/विस्तार लागू नहीं होता। यह सीएसआर की राशि PSC के अधिकारियों और उनके पारिवारिक सदस्यों की निजी जेबों में गई।” सीबीआई के वकील बी गोपाकुमार ने इसके बाद कोर्ट से कहा – “बयान देखना चाहिए जिसमें कि, अनिल सोनवानी ने कहा है कि, प्रश्नपत्र साझा किए गए थे।”