मजदूर दिन – रात काम करता है, हाड़ – मांस गलाता है, hiiफिर भी जिन्दगी के तमाम अभाव के कारण सरकारी अनाज लेने के लिए अभिशप्त हैं।

मजदूर दिन – रात काम करता है, हाड़ – मांस गलाता है, hiiफिर भी जिन्दगी के तमाम अभाव के कारण सरकारी अनाज लेने के लिए अभिशप्त हैं।

मैं प्रतिदिन 18 घंटे काम करता हूं -‌ प्रधानमंत्री

हमारे युवाओं को कहना चाहिए कि यह मेरा देश है, मैं सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहता हूं। पहली बार भारत को कुछ सम्मान मिला है। यह समय हमारे लिए प्रगति को मजबूत करने और गति देने का है और ऐसा करने के लिए हमें बहुत मेहनत करने की ज़रूरत है –
नारायण मूर्ति
इन्फोसिस संस्थापक

सच कहूं तो मुझे इस बात का अफ़सोस है कि मैं आप लोगों से रविवार को काम नहीं करा पा रहा हूं। अगर मैं आप लोगों से रविवार को भी काम करा पाता तो मुझे बहुत खुशी होती, क्योंकि मैं रविवार को भी काम करता हूं। आप घर पर बैठे क्या करते हैं ? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक देख सकते ? पत्नियां कब तक अपने पतियों को देख सकतीं हैं ? ऑफिस पहुंचे और काम करें


एस एन सुब्रह्मण्यन
चेयरमैन, लार्सन एंड टुब्रो

*कैसी विडम्बना है, कार्यावधि बढ़ाने के लिए युद्धस्तर पर शीर्षस्थजन चर्चा कर रहे हैं लेकिन मजदूरों को न्यूनतम वेतन भुगतान कराने के लिए कोई कार्य योजना किसी के पास नही है।

18 घंटा काम करने की घोषणा करने वाले प्रधानमंत्री,‌ 70 घंटे काम लेने के हिमायती नारायण मूर्ति, 90 घंटे काम का आपेक्षा रखने वाले सुब्रह्मण्यन खुद कैसे काम करते हैं ? आम मेहनतकश की कौन कहे देश का बच्चा – बच्चा जानता है। आम देशवासियों के कल्पना से परे अतिसर्वसुविधायुक्त वातानुकूलित स्वर्गकक्ष में बैठकर जब परिश्रम करते हैं तो मजाल है पसीना का एक बूंद निकल जाएं।

*आठ घंटा काम, आठ घंटा आराम, आठ‌ घंटा मनोरंजन की मांग के लिए अल्बर्ट पार्सन्स, ऑगस्ट स्पाइस , एडोल्फ फिशर और जॉर्ज एंगेल ने अपनी बेशकीमती जिन्दगी की शहादत दी है !

आज जो 18, 70 और 90 घंटे काम की हिमायत और तरफदारी कर रहे हैं, इनका समाज और देश की मेहनतकश आबादी से कितना सरोकार है यह सर्वविदित है। काम के घंटे आठ का निर्धारण कैसे हुआ इसके लिए नियम – अधिनियम कैसे बना ? इसका गौरवशाली इतिहास है। आज से करीब 138 वर्ष पहले 3 – 4 मई 1886 को शिकागो शहर के हे मार्केट में मजदूरों का ऐतिहासिक अंतहीन जमावड़ा हुआ, अंतहीन इसलिए कि गोलीबारी के बावजूद मजदूरों का कारखाने से निकलकर जलसे में आमद का सिलसिला नही रूका था। हुकूमत कांपने लगी, मजदूरों के जमात को तितर – बितर करने के लिए कई राउंड गोलियां चलाई गईं, मजदूरों के हौसले की बानगी तो देखिए जिन मजदूरों को गोलियां से भूना गया। जुलूस में चल रहे उसके बाद के मजदूरों ने अपने शहीद हुए मजदूर साथी के खून से सने कपड़े को आसमान में फहराते हुए और आगे बढ़ने लगे यही वह यादगार क्षण था जहां मजदूर तो मारे गये लेकिन लाल झण्डे जन्म हुआ।

*आठ घंटे कार्यावधि का निर्धारण मजदूरों के खून से लिखा है …!

लम्बे – लम्बे ऐतिहासिक कुर्बानी भरे संघर्ष के बाद बने विभिन्न श्रम अधिनियमों के अनुसार हमारे देश में सप्ताह के कार्य घंटे 48 है। अन्य प्रमुख देशों में निर्धारित कार्य के घंटे इस प्रकार है – डेनमार्क में 26.6 घंटे, नार्वे में 26.6 घंटे, जर्मनी में 26.7 घंटे, नीदरलैंड में 27.7 घंटे, फ्रांस में 28.9 घंटे, बेल्जियम में 30.5 घंटे,‌फीलैंड में 30.6 घंटे, स्वीडन में 30.9 और यूके में 32 घंटे है।

*18 घंटा काम करने का दंभ भरने वाले 70 घंटे का‌म का नसीहत देने वाले, 90 घंटा काम करने की फिलाॅसफी बताने वाले सब के सब मेहनत – मेहनतकश और मानवविरोधी, इतिहास विरोधी है।

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