बहुत बड़ी पिक्चर… से कम नहीं नेत्री का राजनीतिक सफ़र

बहुत बड़ी पिक्चर… से कम नहीं नेत्री का राजनीतिक सफ़र

कहानी है दूरदराज़ में रहने वाली उस नेत्री की जिसने छत्तीसगढ़ से गहरा रिश्ता बनाया। ख़ासकर राजधानी रायपुर से। एक राष्ट्रीय पार्टी में लंबा सफ़र तय कर लेने के बाद अब वह दूसरी राष्ट्रीय पार्टी में जा चुकी हैं। दो हफ़्ता होने को आ रहा, उस नेत्री की कहानी से जुड़े ताजे एपिसोड को लेकर छत्तीसगढ़ में चर्चाओं का दौर अभी थमा नहीं है। 7 मई को छत्तीसगढ़ की 7 सीटों पर तीसरे व अंतिम चरण का लोकसभा चुनाव होने जा रहा था तब मुद्दों पर बातें कम नेत्री से जुड़े पहलुओं की चर्चा ज़्यादा हो रही थी। आख़िर कौन हैं ये नेत्री? जानकार लोग बताते हैं- “नेत्री का राजनीतिक क्रियाकलाप स्कूल लाइफ के समय में ही शुरु हो गया था। कॉलेज़ की पढ़ाई पूरी होने के बाद वे राजनीति की मुख्य धारा में आ गईं। वह कभी राष्ट्रीय पार्टी की टिकट पर दिल्ली की किसी सीट से विधानसभा चुनाव भी लड़ी थीं, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2018 के विधानसभा चुनाव के समय में उनका छत्तीसगढ़ आना शुरु हुआ। 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद नेत्री की मानो तरक्की की राह खुल गई।“ रोज़ाना काफ़ी हाउस में लंबा वक़्त बिताने वाले कुछ नेता बताते हैं “नेत्री के जितने बड़े सपने रहे हैं उतने ही बड़े शौक। जब कभी वे रायपुर आतीं फाइव स्टार हॉटल से नीचे ठहरना उन्हें क़बूल नहीं होता था। बड़े लोगों के जो शौक होते हैं वो सारे शौक उनके रहे हैं। नेत्री की मां की फ़िल्म निर्माण कंपनी है। राम यात्रा पर फ़िल्म बनाने का बड़ा ठेका नेत्री की मां को मिला था। फ़िल्म का ठेका क़रीब 5 करोड़ का था। ठेका मिलने के पीछे एक मंत्री का बड़ा हाथ था। फ़िल्म के निर्माण का काम बस्तर के सुकमा क्षेत्र की तरफ से शुरु हुआ था। बताते हैं इस प्रोजेक्ट में 16 गाड़ियां सरकारी खर्चे पर लगी थीं। फ़िल्म निर्माण का काफ़ी कुछ काम हुआ भी। इससे पहले कि फ़िल्म के एवज़ में बड़ी राशि का भुगतान हो पाता सरकार बदल गई। नेत्री ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। ‘जहां चाह वहां राह’ वाली कहावत पर उनका गहरा यक़ीन है। उन्हें भरोसा है छत्तीसगढ़ तब भी काम आया था, आगे भी काम आएगा।“ सही तो है, जहां की ज़मीन इतनी उर्वरा हो वहां पर कौन अपनी फसल नहीं काटना चाहेगा।

सौ . अनिरुद्ध जी

Chhattisgarh